भोपाल।मध्य प्रदेश में जातिगत जनगणना के वादे के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस ने टिकट वितरण के जरिए बड़ा सियासी दांव खेला है. प्रदेश में ओबीसी वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस ने 230 विधानसभा सीटों में से 62 सीटों पर ओबीसी समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इस तरह कांग्रेस ने सूबे में करीब 42 फीसदी ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मध्य प्रदेश में सत्ता में आने जातिगत जनगणना का लगातार वादा कर रही है. टिकट वितरण में 42 फीसदी ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट देकर कांग्रेस ने अपने इस वादे को और पक्का करने का काम किया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मन तो कांग्रेस ने प्रदेश की बड़े वर्ग को लुभाने के लिए दांव चला है, लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा यह रिजल्ट में दिखाई देगा.
कांग्रेस के टिकट वितरण में जातिगत समीकरण का गणित: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जमकर एक्सरसाइज की है. कांग्रेस द्वारा टिकट की पहली तीन अलग-अलग विधानसभा सीट पर कराए गए आखरी सर्वे सितंबर माह में कराया गया था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ खुद बयान दे चुके हैं की टिकट वितरण में स्थानीय जातिगत समीकरणों का खास ख्याल रखा गया है. कमलनाथ के बयान की हकीकत कांग्रेस की प्रत्याशियों की सूची में भी दिखाई देता है. कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग को लेकर बड़ा दांव खेला है, कांग्रेस ने 42% ओबीसी उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इसके अलावा गैर आरक्षित 148 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 80 सीटों पर ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य समान वर्ग के उम्मीदवारों को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने दो मुस्लिम चेहरों को भी टिकट दिया है. जबकि 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट वितरण को देखा जाए तो कांग्रेस ने 74 टिकट सामान्य जाति वर्ग के उम्मीदवारों को दिए थे, जबकि ओबीसी वर्ग को 60 टिकट दिए गए थे.