भोपाल।साल 2008 से 2018 के बीच चुनावी साल में बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा का मुख्य चेहरा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हुआ करते थे, लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ की जन आशीर्वाद यात्रा में शिवराज सिंह को आगे नहीं रखा गया, बल्कि स्थानीय चेहरों को तवज्जो दी गई. शिवराज सरकार की ब्रांडिंग करने उतरी जन आशीर्वाद यात्रा में इस बार शिवराज सिंह की नहीं बल्कि मोदी की ब्रांडिंग होगी. इसमें यह दिखाया जाएगा की पीएम मोदी ने देश के लिए क्या किया और प्रदेश में जनता उन्हें क्यों पसंद कर रही है. इस बार प्रदेश के पांच जिलों में ये यात्रा निकलेगी.
पांच स्थानों से शुरु होगी यात्रा: एमपी में पांच स्थानों से शुरू होने वाली जन आशीर्वाद यात्राओं का राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री शुभारंभ करेंगे. प्रदेश में 5 जन आशीर्वाद यात्राएं विंध्य, महाकौशल, मालवा, ग्वालियर चंबल एवं बुंदेलखंड से निकलेंगी. पहली यात्रा विंध्य क्षेत्र के चित्रकूट से 3 सितंबर को कामतानाथ जी का आशीर्वाद लेकर शुरू होगी. जिसका शुभारंभ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे. यह यात्रा निवाड़ी से होते हुए भोपाल पहुंचेगी. दूसरी यात्रा महाकौशल के मंडला से 5 सितंबर को प्रारंभ होगी. जिसका शुभारंभ केन्द्रीय गृह अमित शाह करेंगे. यह यात्रा जबलपुर होते हुए भोपाल पहुंचेगी.
विंध्य पार्टी के लिए अहम: पिछले विधानसभा चुनाव में विंध्य की 30 सीटों में से बीजेपी को 24 सीटें मिली थी. इस बार भी पार्टी की कोशिश है की कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाए. इसलिए यहां पर बीजेपी के बड़े नेताओं का जमावड़ा साल भर रहा. यहां पर अमित शाह आए, आदिवासी कोल समाज का बड़ा सम्मेलन किया गया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी यहां पर पहुंचे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां समय-समय पर अपनी सभाएं की और इस क्षेत्र को सौगाते देते रहे. ब्राह्मण वर्ग से राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाया गया, तो वहीं ठाकुरों को साधने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर सहित राजनाथ सिंह का सहारा विंध्य में लिया जा रहा है. चित्रकूट धार्मिक महत्व रखता है, यहां पर तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी मैदान हार गई थी. उसी को देखते हुए विंध्य क्षेत्र की यात्रा चित्रकूट से शुरू हो रही है.
महाकौशल के जरिए आदिवासियों को साधेगी यात्रा: महाकौशल क्षेत्र में 38 सीटें है. जिसमें 2018 में बीजेपी को 13 सीट मिली थी, तो वहीं कांग्रेस को 24 सीट. एक सीट कांग्रेसी विचारधारा के उम्मीदवार ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीती थी. हालांकि 2013 में बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 13 सीट मिली थी. एक सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया था, लेकिन इस बार बीजेपी ने महाकौशल को साधने के लिए पिछड़े वर्ग से आने वाले गौरीशंकर बिसेन को मंत्री पद देकर बालाघाट और उसके आसपास की सीटों को साधने की कोशिश की है, हालांकि जबलपुर में निकाय चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है.