भोपाल। बुरहानपुर में जिस समय सीएम शिवराज सिंह चौहान सिंगल क्लिक से प्रदेश की 1.31 करोड़ बहनों के खाते में 1,597 करोड़ की राशि ट्रांसफर कर रहे थे. ठीक उसी समय बड़वानी जिले के सेंधवा में सड़क नहीं होने से एक महिला समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाई और उसकी मौत हो गई. बुरहानपुर का आयोजन और बड़वानी की घटना बेशक दोनों अलग हैं, लेकिन महिला वोटर पर फोकस हो चुके 2023 के एमपी के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये आईना है कि मुद्दे क्या हैं....और माहौल क्या बना रहे हैं सियासी दल. एमपी में महिला वोटर की तादात 2 करोड़ 72 लाख पर पहुंच गई है. 29 विधानसभा सीटों पर तो महिला वोटर ही किंग मेकर हैं. (MP BJP Focus on Women Voter)
2023 में एमपी में बहन-बेटियां बनाएंगी सरकार:1956 से अस्तित्व में आए एमपी में कब ऐसा हुआ कि चुनाव से पहले इस तरह से महिलाओं के लिए सौगातों की झड़ी लगी हो. ये पहला चुनाव है कि आचार संहिता लगने के ठीक पहले तक बीजेपी सरकार आधी आबादी को पूरा खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही. महिला आरक्षण का फैसला भी इन्ही में से है. अब एमपी में सीधी भर्ती वाले पदों में महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण होगा. इसके लिए एमपी की सिविल सेवा नियम 1997 में संशोधन किया गया है.
पीएम मोदी से सीएम शिवराज तक महिला वोटर पर फोकस:पीएम मोदी से लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान तक 2023 के विधानसभा चुनाव में यूं लग रहा है कि प्रदेश में केवल महिला आबादी ही है. आठ दिन के भीतर दो बार एमपी के दौरे पर आए पीएम मोदी के भाषण का अहम हिस्सा महिला मतदाताओं को संबोधित करते हुए था. उज्जवला योजना से लेकर महिलाओं को प्रॉपर्टी में अधिकार दिलाने, शौचालय बनवाने तक पीएम मोदी ने हर उस योजना का ज़िक्र किया जिसे सरकार ने महिलाओं की जिंदगी बदलने का दावा करने वाली योजना की तरह पेश किया था. पीएम मोदी ये बताते रहे कि कैसे बीजेपी की ही सरकार है जिसने पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया.