Ladli Behna Installment: चुनावी मौसम में मालामाल होंगी बहनें! लाडली बहना योजना के तहत कब तक आएंगे खातों में पैसे... - Ladli Behna Yojana Next Installment
Ladli Behna Yojana Next Installment: मध्यप्रदेश में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. आगामी 17 नवंबर को एमपी में मतदान होगा और 3 दिसंबर को मतगणना होगी. इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई है. आइए जानते हैं आखिर क्या है आचार संहिता का मतलब और क्या इस दौरान महिलाओं के खातों में लाडली बहना योजना के पैसे कब तक आएंगे...
भोपाल।मध्यप्रदेश सहित 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है, जहां 17 नवंबर मतदान होगा और एमपी में 3 दिसंबर को मतगणना होगी. इसके साथ ही मध्यप्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है. आचार संहिता लागू होने के बाद अब राज्य सरकार किसी तरह की नई घोषणाओं का ऐलान नहीं कर सकती. साथ ही सभी तरह के भूमि पूजन और लोकार्पण पर भी रोक लग गई है, किसी भी तरह के चुनावी कार्यक्रम में अब सरकारी संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा.
लाडली बहना योजना के पैसे खातों में कब आएंगे:हालांकि चुनाव के पहले राज्य सरकार ने लाडली बहना सहित कई योजनाएं शुरू की है. इसमें से शिवराज सिंह चौहान सरकार की फ्लैगशिप योजना है लाडली बहना जिसमें महिलाओं के खातों में हरेक महीने डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है. इस बार चुनाव के चलते धनराशि आएगी या नहीं इसे लेकर काफी उहापोह की स्थिति है. मगर आचार संहिता के दौरान पहले से चल रही योजनाओं की राशि तो जारी होती रहेगी, सिर्फ नई योजनाओं का ऐलान नहीं किया जाएगा.
क्या होंगी शर्तें: शिवराज सिंह चौहान ने शहडोल की जनसभा में ऐलान किया था कि वो चुनाव के दौरान भी महिलाओं को उनके खाते में चुपके से पैसे डाल देंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि इस योजना के तहत राज्य सरकार नवंबर महीने की किश्त बहनों को दे सकती है, बशर्ते विपक्षी दल इसमें कोई अडंगा ना लगाएं. शिवराज सरकार इसके लिए इलेक्शन कमीशन से भी बात कर सकती है. माना जा रहा है कि 10 नवंबर तक सरकार महिलाओं को उनके खातों में पहले से तय धनराशि जारी कर सकती है.
आचार संहिता लागू होते ही इन कामों पर प्रतिबंध:निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए चुनाव के तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव आचार संहित लागू हो जाती है. वैसे देखा जाए तो आचार संहित कोई कानून प्रावधान नही है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों की सहमति से इस व्यवस्था को लागू किया गया है. इसकी शुरूआत 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी, बाद में इसे सभी चुनाव में लागू कर दिया गया.
क्या है कोड ऑफ कंडक्ट: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न कराने वाले सभी अधिकारियों को इसको लेकर तमाम ट्रेनिंग कराई जा चुकी है, पिछले दिनों सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग कर उन्हें बता दिया गया है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान करने के साथ ही आचार संहिता को किस तरह से लागू कराना है. आचार संहित लागू होने के साथ ही कई कामों पर प्रतिबंध लग गया है. (what is code of conduct)
आचार संहिता लागू होने के बाद से अब राज्य सरकार द्वारा किसी तरह की नई घोषणा लागू नहीं की जा सकेगी. साथ ही केन्द्र सरकार भी कोई ऐसी योजना लांच नहीं कर सकेगी, जिससे राज्यों में मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके.
आचार संहित लागू होने के साथ ही अब कोई भी भूमि पूजन और लोकार्पण नहीं किया जा सकेगा.
किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में सरकारी मशीनरी का उपयोग वर्जित होता, सरकार कर्मचारी अधिकारी भी किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकेंगे. राजनीतिक पार्टी के नेता सरकारी गाड़ी का उपयोग नहीं कर सकेंगे, मंत्री, विधायक की सरकारी गाडियां स्टेट गैरेज को लौटा दी जाएंगी.
आचार संहिता लागू होते ही प्रदेश भर में जगह-जगह विभिन्न योजनाओं के संबंध में लगे होर्डिंग, पोस्टर और पार्टियों के बैनर-पोस्टर को हटा दिया जाएगा.
अब राजनीतिक पार्टियों को सभा, रैली आदि के लेकर संबंधित चुनाव अधिकारी से अनुमति लेनी होगी.
पार्टियां और उम्मीदवार धार्मिक कार्यक्रम, कथाएं आदि नहीं करा सकेंगे.
मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए उन्हें किसी तरह का प्रलोभन या मतदान के दिन उन्हें मतदान केन्द्र तक नहीं लाया जा सकेगा.
उम्मीदवारों को चुनाव में उपयोग किए जाने वाले संसाधनों और खर्चों की तमाम जानकारियां जिला निर्वाचन अधिकारी को देनी होगी.
मुख्य चुनाव पदाधिकारी के आदेशों का पालन करना होगा:चुनाव आचार संहिता लागू होने के साथ ही चुनाव प्रक्रिया में लगे प्रदेश के सभी कर्मचारी अधिकारियों को चुनाव आयोग के आदेशों का पालन करना होगा, आदेशों का उल्लंघन करने पर मुख्य चुनाव पदाधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. मुख्य चुनाव पदाधिकारी के पास सभी पार्वर्स होते हैं.