भोपाल। वोटिंग के दौरान अब बुजुर्गों की व्हील चेयर से पोलिंग बूथ तक पहुंचते या कंधों पर उठा कर वोट डालने ले जाती हुई तस्वीरें दिखाई नहीं देगी. इस बार पहली बार निर्वाचन आयोग ने सीनियर सिटीजन को घर से वोटिंग की सुविधा दी है, लेकिन वरिष्ठ नागरिक मंच की ओर से ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या वरिष्ठ नागरिकों को दी गई मतदान की सुविधा के बाद क्या वरिष्ठ नागरिकों के मतदान की गोपनीयता और उनका ये अधिकार उनकी मर्जी से हो पाएगा. सीनियर सिटीजन को दी गई इस सुविधा के बाद मांग ये भी उठी है कि सत्तर साल से ऊपर के जो बुजुर्ग हैं, उन्हे भले घर से वोट की सुविधा ना हो, लेकिन वोटिंग की कतार में उन्हें ना खड़ा होना पड़े, इसका बंदोबस्त किया जाना चाहिए.
70 पार से ही बुजुर्गों को मिले वोटिंग में सुविधा:मध्य प्रदेश में सीनियर सिटीजन फोरम के अध्यक्ष शांति स्वरूप सक्सेना ने निर्वाचन आयोग की इस पहल का स्वागत किया है, लेकिन सुझाव भी दिए हैं. स्वरूप सक्सेना का कहना है कि "70 वर्ष के बाद की उम्र के कई लोग शारीरिक रुप से अक्षम हो जाते हैं. ये ठीक है कि अस्सी वर्ष के ऊपर के बुजुर्गों के लिए घर से मतदान की सुविधा दी गई है. लेकिन मुझे लगता है कि ये सुविधा 70-75 साल से ही दे देनी चाहिए. या फिर ये बंदोबस्त हो कि उन्हें वोटिंग के कतार में ना खड़ा रहना पड़े, क्योंकि अमूमन इस उम्र में लोग लंबे समय तक लाइन में खड़े नहीं रह पाते हैं. स्वरूप सक्सेना ने कहा कि बाकी इसमें दो राय नहीं कि चुनाव आयोग का ये फैसला सराहनीय है. सीनियर सिटीजन फोरम उनके इस फैसले का स्वागत करता है और आभार व्यक्त करता है."
क्या गोपनीय रह पाएगा बुजुर्गों का वोट:सिटीजन फोरम के हरीश भावनानी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि "निर्वाचन आयोग ने ये जो सुविधा बुजुर्गों को दी है, उसका स्वागत है, लेकिन सवाल ये भी है कि क्या बुजुर्गों का वोट गोपनीय रह पाएगा. परिवार जनों के सामने वोट होगा. रिकार्डिंग होगी ये बताया जा रहा है. लेकिन उसके बाद भी इस उम्र में कई बुजुर्ग ऐसे होते हैं, जिनकी मानसिक और शारीरिक अवस्था बहुत अच्छी नहीं रहती है. उनका वोट किस तरह से होगा. इसमें परिवार या राजनीतिक दलों के प्रभाव से कैसे बचा जाएगा. मुझे लगता है ये बिंदु अभी और स्पष्ट होने हैं. इससे बेहतर ये हो सकता था कि सीनियर सिटीजन को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने का इंतजाम निर्वाचन आयोग करता, उन्हें व्हील चेयर या अन्य सुविधा से पोलिग बूथ तक लाया जाता. बाकी मेरा एक सुझाव ये भी है कि जो 70 वर्ष के ऊपर के बुजुर्ग हैं, उन्हें भी प्राथामिकता दी जाए और उनका वोट आयु से प्राथमिकता में हो, उन्हे कतार में ना खड़े रहना पड़े."