CM के भूमि पूजन और लोकार्पण कार्यक्रम पर कांग्रेस का तंज, कहा- सनातन का ढोल पीटने वाले बताएं कड़वे दिनों में शुभ कार्य कैसे?
Congress Target CM Shivraj: सीएम शिवराज के भूमि पूजन और लोकार्पण कार्यक्रमों को लेकर अब कांग्रेस हमलावर है. फिलहाल कांग्रेस ने कहा है कि सनातन का ढोल पीटने वाले बताएं कि कड़वे दिनों में शुभ कार्य कब से होने लगे.
भोपाल।बीजेपी कोई भी अच्छे काम के लिए पहले ये देखती है कि समय तो ठीक है ना, या फिर यूं कहें कि शुभ दिनों में ही पार्टी अपने काम करती हैं और इस वक्त पार्टी का कोई नया कार्यक्रम नहीं रखा जाएगा, क्योंकि अभी श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं. लेकिन अभी चुनाव हैं और ऐसे में बीजेपी ये नहीं देख रही कि इस वक्त शुभ काम नहीं किए जाते, चुनाव जीतने के लिए पार्टी मुहूर्त भी नहीं देख रही. फिलहाल इसी बात पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए बीजेपी के भूमि पूजन और लोकार्पण कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई है.
कांग्रेस का भाजपा पर हमला:कांग्रेस प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने सवाल उठाते हुए कहा कि "सनातन की संस्कारों की दुहाई देने वाली, ढोल पीटने वाली भाजपा क्या यह बता सकती है कि श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य एवं भूमि पूजन कब से होने लगे? तभी तो हम कहते हैं 50% कमीशन के लिए मामा सिर्फ ढोल पीट रहे हैं." दरअसल सूबे के मुखिया शिवराज सिंह लगातार भूमि पूजन और लोकार्पण कर रहे हैं , सरकार के दावे के मुताबिक सिर्फ शुक्रवार में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक दिन में रिकॉर्ड 53 हजार करोड़ के 14 हजार से अधिक विकास कार्यों का लोकार्पण शिलान्यास किया.
बीजेपी की तीसरी सूची भी नवरात्र में आएगी:कांग्रेस के जवाब में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि "सनातन के हिसाब से सब वैधानिक है." इसके अलावा अन्य पार्टी नेताओं का कहना है कि बीजेपी में कोई भी शुभ काम सनातन के हिसाब से होता है. अब तीसरी सूची का इंतजार सभी को हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो अभी कड़वे दिन चल रहे हैं और इसलिए अभी सूची आने की संभावना कम हैं. हो सकता है पार्टी नवरात्र में उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी करे.
पितृ पक्ष में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य:पंडित भोले शंकर शास्त्री के मुताबिक "श्राद्ध पक्ष भाद्र शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण तक होता है, इन 16 दिनों की अवधि में कोई भी शुभ कार्य इसलिए नहीं किया जाता. ऐसा माना जाता है पितृपक्ष में नई चीजों की खरीदारी करने से पितर नाराज होते हैं. पितृपक्ष में खरीदी गई चीजें पितरों के लिए समर्पित माना जाती है, इसलिए उन वस्तुओं में प्रेतों का अंश होता है. श्राद्ध काल का संबंध करुणा रस से है, जबकि देव पूजा व मांगलिक कार्यों में श्रृंगार का समावेश होता है. करुणा और श्रृंगार का मेल नहीं हो सकता, इसी के चलते पितृपक्ष में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते."