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एमपी में वोटिंग का बना रिकॉर्ड ,इस बार किसकी फिरकी ले रहा है वोटर - किसकी बन रही है सरकार

मध्य प्रदेश में बंपर वोटिंग हुई.वोटिंग का रिकॉर्ड बन गया. अब गली-मोहल्ले से लेकर चौक-चौराहों और चाय-पान की गुमठियों पर एक ही चर्चा सुनाई दे रही है.लोग एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि इस बार किसकी सरकार बनेगी.वोटिंग ज्यादा हुई महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा उत्साह दिखाया तो सवाल कई हो रहे हैं लेकिन जवाब तो आपको 3 दिसंबर को ही मिलेगा.

MP Election 2023
इस बार किसकी फिरकी ले रहा है वोटर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 18, 2023, 11:00 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 11:06 PM IST

'वोटिंग परसेंटेजे बढ़ने घटने से कुछ नहीं होता'

भोपाल। एमपी में इस समय सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है..किसकी सरकार बन रही है..आपका आंकलन क्या कहता है. वोटर ने ऐसी फिरकी ली है कि राजनैतिक पंडित भी समझ नहीं पा रहे कि ये वोटिंग क्लीन स्वीप की है..या फिर उलझाने वाले होंगे नतीजे. एमपी में इस बार पिछले बीस साल में हुए चार चुनावों के मुकाबले वोटिंग बढ़ी है. 76 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है जो पिछले 66 सालों में सबसे ज्यादा वोटिंग है. हालांकि 2018 के मुकाबले में इसे देखें तो ये केवल एक फीसदी का फर्क है. लेकिन सुई अटक रही है पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की बढ़ी हुई वोटिंग पर. दूसरी तरफ बढ़ी हुई महिला वोटर के साथ 230 में से 29 सीटें तो सीधे ऐसी हैं जहां पर महिला वोट ही निर्णायक है.

मतदान केन्द्र पर लगी लंबी लाइन

66 साल में रिकार्ड लेकिन 2018 से एक फीसदी ही बढ़ा:2023 का विधानसभा चुनाव हर मायने में अलग रहा. ये पहला चुनाव होगा एमपी का जिसमें बीजेपी ने अपने केन्द्रीय मंत्रियों समेत सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़वा दिया. ये पहला चुनाव होगा कि प्रधानमंत्री के चेहरे को आगे रखकर बीजेपी ने कोई चुनाव लड़ा. 2003 के बाद जब 2008 में परिसीमन हुआ उसके बाद से ही देखें तो 2008 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग 69 फीसदी रही 2013 में ये बढ़कर 72 फीसदी से ज्यादा हो गई. बढ़ने का ट्रेंड बरकरार रहा और 2018 में ये तीन फीसदी बढ़कर 75 फीसदी के पार पहुंची.

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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक:अब राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इस पर हैं कि क्या ये बढ़ा हुआ वोटर एंटी एस्टबलिशमेंट का है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं मध्यप्रदेश उन राज्यो में से है जिसने एंटी इन्कमबेंसी जैसे टर्म को सिरे से खारिज कर दिया है. इसलिए ये कहना बिल्कुल सही नहीं कि जो वोट परसेंट बढ़ा है वो सत्ता के खिलाफ वोट है. बल्कि ये कहानी उलट भी सकती है क्योंकि ऐसा होता रहा है.

मतदान केन्द्र में वोट से पहले हस्ताक्षर

एमपी में वोटिंग का बढ़ता ग्राफ..37.17 फीसदी से 76 तक:बीते 60 साल से ज्यादा के समय को देखें तो वोटिंग का ग्राफ बढ़ता गया है. एक नवम्बर 1956 को गठित हुए एमपी का पहला चुनाव 1957 में हुआ था तब केवल 37 फीसदी लोगों ने मतदान किया. फिर ये वोटिंग परसेंटेज 44 फीसदी हुआ पचास के पास पहुंचा और 2023 के आते-आते 75 फीसदी तक पहुंच गया मतदान.

मतदान केन्द्र पर अपनी बारी का इंतजार करते मतदाता

एमपी में वोटिंग का ट्रेंड घटता बढ़ता रहा:लंबे समय तक एमपी भी उन राज्यों में रहा है जहां वोटिंग परसेंटेज का बढ़ना सत्ता का वोट माना गया लेकिन बीजेपी के राज के बीते तीन चुनाव ने ये बताया कि कई बार बढ़ी हुई वोटिंग प्री एंन्कबेंसी यानि सत्ता के समर्थन का वोट भी हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते है उसी वोटिंग ट्रेंड को पकड़ते हुए ये समझना होगा कि बढ़ा हुआ वोट विरोध का वोट नहीं होता हमेशा.

महिलाओं की बंपर वोटिंग क्या कहती है:एमपी में महिला वोटर इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सियासी दलों के फोकस में रही. निगाहें भी इसी पर थी कि महिलाएं कितना बढ़ चढकर वोट करती हैं. यूं एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से 29 सीटों पर महिलाएं ही निर्णायक हैं. लेकिन जहां नहीं भी हैं वहां कई इलाकों की विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट किया है.

शहडोल जिले का उदाहरण सामने हैं यहां जैतपुर विधानसभा में पुरुषों की वोटिंग 80.67 फीसदी थी तो महिलाओँ ने 80.95 फीसदी वोटिंग की. इसी तरह ब्यौहारी में महिलाओ का वोटिंग प्रतिशत 77 फीसदी तक गया पुरुषों का 71 फीसदी ही रहा. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं विंध्य का विश्लेषण करें शहडोल जिले में ही 77 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 80 फीसदी महिलाओं ने वोट किया है. यही ट्रेंड आपको बाकी सीटों पर भी दिखाई देगा.

वोटिंग परसेंटेज बढ़ने घटने से कुछ नहीं होता:पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बढ़े हुए वोटिंग परसेंटेज को लेकर बयान दिया है कि वोटिंग परसेंटेजे बढ़ने घटने से कुछ नहीं होता उन्होंने कहा कि 3 दिसम्बर को जनता जो फैसला देगी हमें स्वीकार होगा.

Last Updated : Nov 18, 2023, 11:06 PM IST

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