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चुनावी खर्च के मामले में पिछड़े धन 'कुबेर',किस दल के प्रत्याशियों पर हैं सबसे ज्यादा आपराधिक मामले - आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशी

Expenses of famous Candidates:बीजेपी हो या कांग्रेस एमपी के ज्यादातर विधायक करोड़पति हैं लेकिन ये धन कुबेर चुनावी खर्च के मामले में पिछड़ गए हैं. चुनाव आयोग ने इस बार चुनावी खर्च की लिमिट 40 लाख रुपये तय की थी लेकिन करोड़पति प्रत्याशी 20 लाख से ज्यादा खर्च नहीं कर पाए.

MP Election 2023
हाईप्रोफाइल सीटों पर कितना खर्च

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 7:54 PM IST

बीजेपी और कांग्रेस प्रवक्ता के तर्क

भोपाल।एमपी के ज्यादातर विधायक करोड़पति हैं और जिन प्रत्याशियों को मैदान में पार्टियों ने उतारा है उनमें से किसी भी प्रत्याशी का चुनावी खर्च 20 लाख से ज्यादा नहीं गया. जबकि चुनाव आयोग ने खर्च की सीमा 40 लाख रुपये तय की थी. हमारे माननीयों का जिक्र करें तो चुनावी खर्च की लिमिट सीमा भी नहीं लांघी है. एक विधायक को छोड़ दिया जाए तो उन्होंने 22 लाख खर्च किए हैं बाकी सभी नीचे हैं.

हाईप्रोफाइल सीटों पर कितना खर्च: इंदौर 1 हाईप्रोफाइल सीट है यहां कैलाश विजयवर्गीय ने 21 लाख जबकि करोड़पति विधायक संजय शुक्ला ने मात्र 15 लाख रुपये चुनाव में खर्च किए हैं. सीएम शिवराज की बुधनी सीट पर सबकी निगाहें हैं. मुख्यमंत्री का चुनावी खर्च 11 लाख 86 हजार आया तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रम मस्ताल शर्मा ने 7 लाख 65 हजार खर्च किए. छिंदवाड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी कमलनाथ ने 10 लाख 72331 रुपए खर्च किए तो बीजेपी प्रत्याशी विवेक बंटी साहू ने खर्चे में बाजी मारते हुए 14 लाख 43224 खर्च किए हैं. यानि खर्च के मामले में छिंदवाड़ा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने कमलनाथ को पीछे छोड़ दिया है.

हाईप्रोफाइल सीटों पर किसने कितना किया खर्च

केन्द्रीय मंत्रियों ने कितना किया खर्च:मुरैना जिले की दिमनी सीट भी हाई प्रोफाइल है जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लड़ रहे हैं इन्होंने सिर्फ 7 लाख 42 हजार तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ने सिर्फ 6 लाख खर्च किए तो बीएसपी से बलवीर सिंह दंडोतिया ने 11 लाख से ज्यादा खर्च किए हैं. नरसिंहपुर सीट से ओबीसी के बड़े चेहरे प्रहलाद पटेल ने 17 लाख 57852 तो लाखन सिंह ने 10 लाख 10526 खर्च किए. मंडला जिले की आदिवासी बाहुल्य सीट निवास से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह चुनावी मैदान में हैं इन्होंने चुनाव में
15 लाख 38315 तो वहीं कांग्रेस के चैन सिंह ने 15 लाख 31618 खर्च किए हैं.

सांसदों ने कितना किया खर्च: बीजेपी की सांसद रीति पाठक सीधी से चुनावी मैदान में हैं. इन्होंने 9 लाख 32734 तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ज्ञान प्रताप ने 9 लाख 43985 खर्च किए. जबलपुर पश्चिम पर भी सारे प्रदेश की नजर है कांग्रेस प्रत्याशी तरुण भनोट ने 9 लाख 82585 तो सांसद राकेश सिंह ने 11 लाख 28769 चुनाव में खर्च किए.

बीजेपी-कांग्रेस दोनों के अपने-अपने तर्क: बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां सत्ता में आने का दावा कर रहीं हैं. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर धन और बाहुबल का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही हैं.

बीजेपी पार्टी में हैं सबसे ज्यादा करोड़पति

एमपी के 'करोड़पति' उम्मीदवार: बीजेपी के 230 प्रत्याशियों में से 200 करोड़पति (87%),कांग्रेस के 230 में से 196 करोड़पति प्रत्याशी (85%),BSP के 181 में से 54 (30%) तो आम आदमी पार्टी के 66 में से 39 करोड़पति (59%) प्रत्याशी हैं. वहीं 1167 निर्दलीय में से केवल 149 प्रत्याशी करोड़पति हैं.

सबसे अमीर प्रत्याशियों पर नजर

सबसे अमीर प्रत्याशी कौन:तीन ऐसे भी उम्मीदवार हैं जो सबसे अधिक संपत्ति के साथ सूची में शीर्ष पर हैं. इनमें भाजपा के चेतन्य कश्यप हैं जिनकी कुल संपत्ति 296 करोड़ रुपये से अधिक है. भाजपा के संजय सत्येन्द्र पाठक दूसरे नंबर पर हैं और उनकी संपत्ति 242 करोड़ रुपये से अधिक है वहीं कांग्रेस के संजय शुक्ला की संपत्ति 217 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

किस पार्टी के कितने प्रत्याशियों पर हैं आपराधिक मामले

प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले:मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में 2,534 उम्मीदवारों में से 472 (19%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के 230 में से 65 (28%), कांग्रेस के 230 में से 121 (53%), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 181 में से 22 (12%) और आम आदमी पार्टी (आप) के 66 में से 26 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. जबकि 1,167 निर्दलीय उम्मीदवारों में से केवल 134 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. 2018 की बात करें तो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 2,716 उम्मीदवारों में से 464 (17%) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे.

चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने दिया है सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा: प्रभाकर देशपांडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अत्याधिक चुनावी खर्च को रोकने और दोषी उम्मीदवारों और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक व्यापक योजना के साथ आने का निर्देश देने की मांग की गई है. जिसपर चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि ऐसा तंत्र पहले से ही मौजूद है. ये तंत्र अवैध चुनावी खर्च को रोकने में कामयाब भी रहा है.

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