भोपाल।डीएसीपी और मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति के विरोध में डॉक्टर कई समय से लामबंद है. ऐसे में मंगलवार को उनकी चिकित्सा शिक्षा विभाग के एसीएस के सामने बैठक हुई लेकिन 2 घंटे चली वार्ता विफल रही. जिसके बाद सभी डॉक्टर्स ने निर्णय लिया है कि 3 मई से प्रस्तावित हड़ताल पर वह अमल करेंगे और 3 मई से काम बंद कर हड़ताल शुरू करें.सतपुड़ा भवन में चली इस बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों ने पिछली बैठक में बनी सहमति एवं अपनी स्वयं के वादों को नकार दिया है, उन्होंने कहा "वित्तीय भार का कोई मामला नहीं है लेकिन डीएसीपी को लेकर जो पिछली निर्णायक बैठक में आमसहमति बनी थी उसे मानने से मना दिया है" एवं 10 हजार शासकीय चिकित्सकों के साथ धोखा कर विडंबना की स्तिथि पैदा कर दी है.
प्रदेशव्यापी आंदोलन: इसके पहले इन डॉक्टर से 27 जनवरी 2023 से मध्यप्रदेश शासकीय, स्वशासी चिकित्सक महासंघ की "चिकित्सा बचाओ-चिकित्सक बचाओ" संपर्क यात्रा ग्वालियर शहर से शुरू होते हुए प्रदेश के तकरीबन समस्त जिलों से एवं 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों से 6 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हुए 7 फरवरी 2023 को भोपाल में समाप्त हुई थी, अन्य राज्यों की तरह डीएसीपी करियर उन्नयन नीति लागू करने, चिकित्सा जैसे टेक्निकल एवं संवेदनशील विभाग में गैर टेक्निकल प्रशासनिक अधिकारियों की दखलअंदाजी कम करने एवं अन्य वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियों को लेकर 15, 16, 17 फरवरी महासंघ के बैनर तले प्रदेश के समस्त शासकीय चिकित्सकों ने प्रदेशव्यापी आंदोलन किया था, तत्पश्चात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात पश्चात उनके निर्देश अनुसार महासंघ के समस्त चिकित्सकों ने 17 फरवरी को अपना आंदोलन वापस लिया था तथा उक्त मुद्दों के निवारण हेतु मुख्यमंत्री के माध्यम से एक उच्च स्तरीय समिति निर्मित की गई थी. जिसे समस्त मुद्दों का अवलोकन कर अनुशंसा सहित अपना प्रतिवेदन समय सीमा में शासन को सौंपना था.
3 बैठके 12 घंटे विमर्श: पिछली कुल 3 बैठकों में लगभग 12 घंटो से ज्यादा के विचार विमर्श के पश्चात 31 मार्च 2023 को समिति की आखिरी व निर्णायक बैठक संपन्न हुई थी, जिसमे बहुतः मुद्दों पर समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों की आम सहमति बनी, समिति का सहस्ताक्षर अनुशंसा सहित प्रतिवेदन 31 मार्च को शासन को सौंपा जा चुका है. समिति को प्रतिवेदन दिए आज 2 सप्ताह से अधिक का समय हो चुका है परंतु मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी प्रदेश के चिकित्सकों को आज तक कोई भी ठोस निर्णय या आदेश प्राप्त नहीं हुआ है, जिस से प्रदेश के समस्त 10 हजार से अधिक शासकीय चिकित्सकों में असमंजस व रोष की स्तिथि व्याप्त है.