भोपाल। सायबर पुलिस ने भोपाल व इंदौर में बैंक ऑफ बडौदा खाताधारकों के एटीएम का क्लोन बनाकर पैसे निकालने वाले दो लोगों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है, इस पूरे मामले में इस पूरे अपराध का मास्टरमाइंड जो कि रोमानियन का नागरिक है. इसके अलावा उसके एक अन्य सहयोगी जो कि अपराध से जुड़े अन्य सभी गतिविधियों को अंजाम देता था और वह मुंबई का रहने वाला है, उसे भी सायबर क्राइम ब्रांच भोपाल ने गिरफ्तार किया है. इस पूरे मामले में जुलाई से ले कर अभी तक लगभग 75 शिकायतें मिली है. बताया जा रहा है कि भारत मे आने के बाद वह बैंक आफ बडौदा के लगभग 200 खाता धारकों से लाखों रुपयों की धोखाधडी को अंजाम दे चुका है.
प्रदेश भर से मिली शिकायतें:भोपाल में पुलिस आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि "पिछली 10 जुलाई को भोपाल के कोहेफिजा के रहने वाले सैय्यद फारूक ने सायबर क्राइम में शिकायत की थी कि उसके बैंक खाते से एटीएम के माध्यम से बिना कोई जानकारी सांझा किये 75,000 रूपये निकालकर अज्ञात व्यक्ति द्वारा धोखाधड़ी की गयी है. शिकायत मिलने के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्रहकों के खाते से एक महीने पहले जो पैसे निकलने का मामला सामने आया था, इसमें भोपाल के अलावा प्रदेश के अन्य शहरों में भी बैंक ऑफ बड़ौदा के खाता धारकों ने भी इंदौर और सागर पुलिस को भी इस तरह की शिकायतें मिली थी. भोपाल में ऐसी शिकायतों की संख्या 72 से भी ज्यादा पहुंच गई थी. इस पूरे मामले में भोपाल सायबर क्राइम पुलिस के 5 ईमेल का बैंक प्रबंधन ने अब तक जवाब नहीं दिया था, पुलिस ने उनसे उन लोकेशन के फुटेज मांगे हैं, जहां से पैसे निकाले गए हैं पर बैंक ने तत्काल कोई फुटेज उपलब्ध नहीं करा पाई. जिसके बाद सायबर क्राइम की टीम ने इस पर काम करना शरू किया."
एटीएम क्लोनिंग का नया तरीका आरोपियों ने किया प्रयोग:पुलिस ने बताया कि "दोनों आरोपी आयोनेल मियु, फिरोज अहमद घटना से पूर्व भोपाल और इदौर होटलों में रुक कर एटीएम की रैकी की, इसके बाद रैकी किए हुए एटीएम को खाली व सुनसान जगहों के एटीएम में क्लोनिंग डिवाइस स्कीमिंग डिवाईस व हिंडन माईक्रो कैमरे लगा कर एटीएम कार्ड का डेटा चोरी कर लेते थे. जिसका उपयोग आरोपी कार्ड का क्लोन तैयार करने में करते थे, उन क्लोन कार्डों की मदद से आरोपियों द्वारा दिल्ली तथा उसके आस-पास के बैंक ऑफ बडौदा के एटीएम से नगदी निकाल लिया करते थे. आरोपियो द्वारा अपनी पहचान छुपाने के लिए एटीएम में टोपी एव फेस मास्क का उपयोग किया जाता था. एटीएम के आस-पास आने जाने के लिये किराये के ऑटो का उपयोग करते थे, जिससे आरोपियों का आने-जाने के रास्ते क्लियर ना हो व पहचान ना हो सके. नगदी निकालने के बाद आरोपी अपना शहर बदल देते थे, जिससे आरोपी पुलिस के पकड में ना आएं."