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चुनाव आयोग की सिफारिश पर बोली कांग्रेस, 'छवि खराब करने और ई-टेंडर घोटाले को दबाने की कोशिश' - MP congress said BJP Trying to tarnish the image

केंद्रीय चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को तीन आईपीएस अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है. इन लोगों की 2019 के आम चुनावों के दौरान काले धन के इस्तेमाल में कथित भूमिका सामने आई थी. मामला आयकर विभाग द्वारा पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी और इस दौरान बरामद पैसों से जुड़ा हुआ है. पूरे मामले कें कांग्रेस का कहना है कि ईटेंडर घोटाले को दबाने और कांग्रेस की छवि खराब करने का प्रयास किया जा है क्योंकि चुनाव आने वाले हैं.

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कमलनाथ

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Published : Dec 17, 2020, 3:52 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 4:00 PM IST

भोपाल:कमलनाथ सरकार के समय लोकसभा चुनाव के दौरान 2019 कमलनाथ के करीबी और कई ठिकानों पर पड़े आयकर छापों को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने 3 आईपीएस अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं, चुनाव आयोग के निर्देशों के बाद सियासत तेज हो गई है, मध्य प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा है. मामला बहुत पुराना हो चुका है और अब कार्रवाई की जा रही है, जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है, वह ई-टेंडर घोटाले की जांच कर रहे थे. इस सिफारिश से कांग्रेस की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.

कांग्रेस कार्यालय
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान पड़े थे आयकर के छापे

मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार के समय लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कमलनाथ के करीबियों के यहां आयकर विभाग ने छापे मारे थे. इन छापों को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी गई थी, जिसमें बताया गया था कि चुनाव के दौरान बेहिसाब नगदी का उपयोग किया गया था. इस रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग ने 3 आईपीएस अधिकारी और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं.

करीब डेढ़ साल बाद कार्रवाई की सिफारिश पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

इस मामले में चुनाव आयोग द्वारा करीब डेढ़ साल बाद कार्रवाई की सिफारिश किए जाने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि अगर कोई अधिकारी दोषी पाया गया था तो उसी समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. इतना लंबा इंतजार क्यों किया गया? कांग्रेस का मानना है कि नगरीय निकाय चुनाव के करीब आने पर कांग्रेस की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.

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कांग्रेस के बड़े नेताओं ने साधी चुप्पी

इस मामले में कांग्रेस के बड़े नेता खुद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। इन नेताओं द्वारा ना तो कोई बयान जारी किया गया है और ना ही सोशल मीडिया पर या अन्य माध्यमों पर अपना पक्ष रखा गया है। लगातार संपर्क करने के बाद भी मीडिया से बातचीत के लिए नेता तैयार नहीं है।

क्या कह रही है कांग्रेस

इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है, ''चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। कांग्रेस की छवि खराब करने का काम किया जा रहा है, यह बहुत पुराना मामला है,यदि अधिकारी दोषी होते तो उस समय कार्रवाई क्यों नहीं की गई, यह सब अधिकारी इन्हीं टेंडर घोटाले में जांच कर रहे थे. ध्यान भटकाने और ई-टेंडर घोटाले को दबाने के लिए मध्य प्रदेश में कार्रवाई की जा रही है. यह अधिकारी अगर दोषी थे, तो 2019 में पड़े छापों के समय क्यों चुप थे, सारी एजेंसियां चुप्पी साधे हुए थीं, मामला खत्म हो चुका है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में कांग्रेस की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा इस मामले में कोई दम नहीं है, पूरी तरह से गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं.''

क्या है मामला

  • चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को तीन आईपीएस अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया है. इन पर आम चुनाव 2019 के दौरान काले धन के इस्तेमाल करने का आरोप है. शिकायत के बाद आयकर विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर छापेमारी की थी.
  • आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव को इन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई शुरू करने को कहा है. चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को इस मामले में शामिल राज्य पुलिस अधिकारियों पर समान कार्रवाई करने को कहा है.
  • चुनाव आयोग ने कहा कि उसने यह कार्रवाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की उस रिपोर्ट के बाद की है, जिसमें एजेंसी ने पूरे मामले को लेकर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी. सीबीडीटी ने आयकर विभाग के तलाशी अभियान की जानकारी दी थी. इसमें आम चुनाव के दौरान बेहिसाब नकदी के उपयोग की खबरें आई थीं.
  • सीबीडीटी आयकर विभाग की प्रशासनिक ऑथोरिटी है.
  • आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सीबीडीटी की रिपोर्ट ने आयोग को कुछ निश्चित संस्थाओं और व्यक्तियों के बारे में सूचित किया था, जो किसी एक राजनीतिक पार्टी के कहने पर अनधिकृत ढंग से बड़ी मात्रा में नकद योगदान कर रहे थे. छापेमारी के दौरान इसकी पुष्टि भी हो गई थी.
  • हालांकि, चुनाव आयोग ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया. मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस का नाम बताया जा रहा है.
  • रिपोर्ट में विशेष रूप से अनधिकृत या बेहिसाब नकद लेन-देन में सार्वजनिक या सरकारी कर्मचारियों के सांठगांठ के उदाहरणों का उल्लेख है.
  • सीबीडीटी ने 28 अक्टूबर को रिपोर्ट सौंपी थी. चुनाव आयोग ने इस रिपोर्ट की प्रतिलिपि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेज दी है. आयोग ने राज्य के सक्षम प्राधिकारी (आर्थिक अपराध शाखा) के सामने मामला दर्ज करने को कहा है.
  • जिन तीन आईपीएस अधिकारियों पर आरोप लगे हैं, वे हैं- सुषोवन बनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार. राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा का नाम शामिल है.
  • आयकर विभाग ने पिछले साल अप्रैल में मध्य प्रदेश और दिल्ली में 52 स्थानों पर छापे मारे थे. जिनके यहां छापेमारी की गई थी, उनमें कमलनाथ के पूर्व ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मिगलानी, अश्वनी शर्मा और उनके साले की फर्म मोजर बेयर, उनके भतीजे रतुल पुरी और अन्य कंपनी से जुड़े अधिकारी शामिल थे.
  • सीबीडीटी ने 8 अप्रैल को एक बयान में कहा था कि छापेमारी में 14.6 करोड़ नकद बरामद किए गए थे. इसके अलावा कई डायरी और कंप्यूटर फाइलें बरामद की गईं.
  • आरोप ये भी लगा कि 20 करोड़ रुपये दिल्ली में एक पार्टी के दफ्तर ले जाने की तैयारी थी.
  • छापेमारी के दौरान 281 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी के संग्रह की सुव्यवस्थित रैकेट का भी पता चलने का दावा किया गया. इसमें राजनीति, व्यापारी और सरकारी सेवा से जुड़े तंत्र की बात कही गई थी.
  • कमलनाथ ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था.
Last Updated : Dec 17, 2020, 4:00 PM IST

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