भोपाल| महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर सो रहे मध्य प्रदेश के 16 मजदूरों की मौत के बाद अब राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्ष लगातार सरकार के रवैए पर सवाल उठा रहा हैं विपक्ष का मानना है कि सरकार ने सही ढंग से मजदूरों को वापस लाने का क्रियान्वयन नहीं किया, जिसका नतीजा है कि प्रदेश के 16 मजदूरों की जान चली गई.
कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि जिन अधिकारियों की ड्यूटी संबंधित राज्यों में इन मजदूरों को लाने के लिए लगाई गई थी, उन पर भी लापरवाही बरतने के चलते कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही इस घटना से सबक लेते हुए सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द अन्य राज्यों में फंसे सभी मजदूरों को प्रदेश वापस लाया जाए और इनकी समुचित व्यवस्था की जाए .
विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि 'महाराष्ट्र के औरंगाबाद हादसे में कई मजदूर मौत की नींद में सो गए जो अपने घर वापस आना चाहते थे. अब सरकार ने इस मामले की जांच कराने का ऐलान किया है साथ ही प्रदेश सरकार ने मृतक परिवारों को 5- 5 लाख रुपए का मुआवजा देने की बात भी कही है, लेकिन हमारा सरकार से आग्रह है कि जो मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे यह सभी मजदूर 40 से 45 दिनों तक आपका इंतजार कर रहे थे कि आप उन्हें उनके घर तक पहुंचाने का काम करेंगे उनकी समुचित व्यवस्था करेंगे लेकिन आपने उनकी कोई व्यवस्था नहीं की है.'
वहीं इस दौरान कांग्रेस भी लगातार मजदूरों की वापसी का मुद्दा उठाती रही है क्योंकि जो अन्य प्रदेशों में मजदूर फंसे हुए हैं उन्हें वापस लाने की व्यवस्था होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 'आज यह मजदूर मुआवजे के लिए नहीं बल्कि 2 जून की रोटी के लिए इस दुनिया से चले गए हैं अब हमें इस मामले में गंभीरता से सोचना पड़ेगा.'
कांग्रेस विधायक ने कहा कि 'हमारे नेता हवाई चप्पल से लेकर हवाई सफर तक की बात किया करते थे लेकिन सच में आज हम कहां से कहां पहुंच चुके हैं आज ना उन्हें हवाई चप्पल मोहिया हो पा रही हैं और ना ही उन्हें दो वक्त की रोटी मिल पा रही है और आज मजदूर इस बात पर भरोसा भी नहीं कर पा रहा है कि आप की बात पर विश्वास करके वह एक जगह पर बैठा रहे इस विषय पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए.'
'हम अपनी ओर से इन सभी श्रमिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं लेकिन जिस तरह के हालात इस समय मजदूरों के देश में बने हुए हैं उसके लिए अब सरकारों को सोचना पड़ेगा और व्यवस्था सही ढंग से बनानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि 'हमारे पास तमाम पर है कि संसाधन मौजूद हैं और हम विदेशों से अपने लोगों को देश वापस ला सकते हैं, हम आज चांद पर पहुंच चुके हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि जिन मजदूरों का इन सभी संसाधनों पर पहला हक बनता है हम उनके लिए इतनी भी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें अच्छी तरह से उनके घर पहुंचा सकें सरकार को इन सभी मामलों पर पुनर्विचार करना चाहिए और मजदूरों को जल्द से जल्द उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि 'इस घटना से जहां एक तरफ दुख प्रकट करने की आवश्यकता है तो वहीं इस घटना से सबक लेने की भी जरूरत है और अब देश के मजदूरों के साथ सरकारों को खड़े होने का काम करना चाहिए.