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कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष होंगे कमलनाथ! सोनिया-प्रियंका से हुई मुलाकात, जल्द बन सकती है बात

एक वक्त था जब देश में सिर्फ कांग्रेस के नाम का ही सिक्का ढलता था और चलता था, राजनीति में किसी दूसरे सिक्के के लिए कोई जगह नहीं थी, वही कांग्रेस आजकल सियासी हासिये पर चल रही है. ऐसे में कांग्रेस मझे हुए खेवनहार की तलाश में है, जो मझधार में हिचकोले खाती कश्ती को किनारे लगा सके. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कमलनाथ को अपनी जिम्मेदारी सौंपना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने कमलनाथ को दिल्ली अपने 10 जनपथ आवास पर मुलाकात के लिए बुलाया था, मुलाकात के वक्त प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद रहीं. उम्मीद है कि कमलनाथ को कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल सकती है.

kamalnath met sonia gandhi
सोनिया गांधी से मिलने जाते कमलनाथ

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Published : Jul 15, 2021, 12:43 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 5:41 PM IST

भोपाल। भूल-भुलैया के भंवर से निकलने की कोशिश में हाथ-पैर मारती कांग्रेस को अब तक कोई मुकम्मल रास्ता नहीं मिल सका है. संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलना प्रस्तावित है, खबर है कि पार्टी लोकसभा में सदन के नेता अधीर रंजन चौधरी को बदलने की तैयारी में है, साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष का चयन भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. संभव है कि अंतरिम अध्यक्ष के रास्ते कांग्रेस कमलनाथ को अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचा दे, जबकि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर चल रही गतिविधियों के बीच मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के भीतर समीकरण बदलने के आसार बनने लगे हैं. इसकी वजह ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सक्रियता तेजी से बढ़ी है और उनके राज्य के विभिन्न हिस्सों में दौरे भी होने लगे हैं.

कांग्रेस में कई राज्यों में खींचतान का दौर जारी है और गांधी परिवार के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं. साथ ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वस्त अहमद पटेल का निधन हो चुका है. इन हालातों में पार्टी के भीतर समन्वय बनाने की कोशिश जारी है. इसी क्रम में एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अनुभव और प्रभाव का पार्टी उपयोग करना चाह रही है. यही कारण है कि कमलनाथ की दिल्ली में सक्रियता बढ़ गई है और उन पर समन्वय की जिम्मेदारी भी पार्टी सौंप रही है. कुल मिलाकर कमलनाथ पार्टी के संकटमोचक की भूमिका में हो सकते हैं.

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की दिल्ली में बढ़ती सक्रियता के बीच मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सक्रिय हो चले हैं. बीते एक पखवाड़े में दिग्विजय सिंह कई जिलों का न केवल दौरा कर चुके हैं, बल्कि सड़क पर भी उतरने से नहीं चूके हैं. इसके अलावा शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश में लगे हैं और मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं.

सोनिया गांधी से मिलने जाते कमलनाथ

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिग्विजय सिंह राज्य के 10 साल मुख्यमंत्री रहे हैं, जिसके चलते उनके पास अपने समर्थकों की टीम रही है. यही वजह है कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें पार्टी ने समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी थी. पार्टी को परिणाम भी सकारात्मक मिले, मगर पार्टी सत्ता पर महज 15 माह ही काबिज रह पाई, सरकार गिरने और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने की बड़ी वजह भी दिग्विजय सिंह को ही माना जाता है. ऐसे में कमलनाथ मध्य प्रदेश छोड़ेंगे, ये बड़ा सवाल है क्योंकि उन्होंने भी पूरे राज्य में अपनी टीम बना ली है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि कमलनाथ पहले महाकौशल तक के नेता माने जाते थे, मगर सत्ता में आने और सत्ता से बाहर होने के बाद उनकी सक्रियता बढ़ी है, जनता में स्वीकार्यता भी बढ़ी है. इसका उदाहरण उप-चुनाव में ग्वालियर-चंबल इलाके के टिकटों का वितरण और विंध्य क्षेत्र में पसंदीदा नेता चौधरी राकेश सिंह चतुवेर्दी को जिम्मेदारी देना है. इससे कई नेताओं को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. लिहाजा अन्य नेताओं को सक्रियता तो दिखानी ही पड़ेगी, लड़ाई जो अस्तित्व की है.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कमलनाथ पार्टी के नेता हैं, दिग्विजय सिंह भी उन्हें अपना नेता मानते हैं. पार्टी के लिए हर नेता काम करता है, दिग्विजय सिंह समन्वय बनाने में सक्षम हैं. यही कारण है कि उन्हें जिम्मेदारी भी सौंपी जाती रही है. उनके दौरों और सक्रियता के कोई मायने नहीं खोजे जाने चाहिए, वे हमेशा पार्टी की मजबूती के लिए काम करते हैं.

Last Updated : Jul 15, 2021, 5:41 PM IST

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