क्या कांग्रेस के खिलाफ खड़े होंगे जीतू पटवारी? जानें क्यों कहा CM शिवराज का करेंगे अभिनंदन
एमपी कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा है कि अगर सीएम शिवराज ने किसानों के मुद्दे को उनकी बात मान ली तो वे सीएम का अभिनंदन करेंगे. यहां तक कि अगर चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आती है और वो उनकी बात नहीं मानती है तो वे अपनी ही पार्टी के खिलाफ भी खड़े होंगे.
जीतू पटवारी
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Published : Mar 12, 2023, 11:24 AM IST
भोपाल। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेता जीतू पटवारी किसानों के मुद्दे को लेकर प्रदेश का दौरा करेंगे, जीतू पटवारी ने कहा है कि "किसानों की आय दोगुनी करने, गेहूं का समर्थन मूल्य 3000 रुपए करने की मांग को लेकर मैं सभी जिलों में जाऊंगा. यदि मेरी मांग सीएम शिवराज ने मान ली तो मैं उनका नागरिक अभिनंदन करूंगा, इसके अलावा आगामी चुनाव में बीजेपी के स्थान में सत्ता में आने वाली पार्टी(कांग्रेस) ने भी यदि मेरी मांग नहीं मानी तो मैं उसके भी खिलाफ खड़े हो जाऊंगा."
किसान की आय मजदूरों से भी कम:सोशल मीडिया पर रूबरू हुए पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि "सरकार सालों से दावे कर रही है कि किसानों की आय दो गुनी की जाएगी, लेकिन किसानों की हालत कमजोर ही हुई है. सरकारी आंकडे ही कहते हैं कि किसान हर रोज सिर्फ 27 रुपए कमाता है, यानी किसान की आय मजदूरों से भी कम है. सरकार की नीतियां सिर्फ उद्योगपतियों के हिसाब से बनाई जाती हैं, आलम यह है कि अपनी आय बढ़ाने के लिए जिन किसानों ने वेयरहाउस बनाए वह खाली पड़े रहते हैं, जबकि अड़ानी सायलो केन्द्र बनाती है तो सरकार ऐसी नीति बनाती है कि यह खाली भी रहें तो सरकार उन्हें निर्धारित राशि देगी."
सरकार के खिलाफ खड़े हो जाएं:कांग्रेस विधायक ने कहा कि "सरकार को महिलाओं के वोट चाहिए, इसलिए लाड़ली बहना योजना लेकर आई, लेकिन सरकार को किसानों की परवाह ही नहीं है. किसानों पर महंगाई बढ़ने पर भी मार पड़ती है और महंगाई कम होने पर भी किसानों को कीमत चुकानी पडती है, खुद को किसान का बेटे कहने वाली सरकार सत्ता में आती है तो उन्हें सिर्फ यही चिंता रहती है कि उनकी पार्टी और उनके नेता कैसे बड़े बनें. सरकार ने ऐसी कोई नीति ही नहीं बनाई जिससे किसानों को फायदा पहुंचे, जबकि सरकार कहती है कि यह देश का पेट भरते हैं. सरकार को हार कर डर रहता है, इसलिए अपनी मांग को लेकर सभी किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो जाएं. सरकार हर साल 25 हजार करोड़ बिजली कंपनियों को दे देती है, 20 हजार करोड़ ऐसी बिजली कंपनियों को दे देती है, जिससे वह बिजली खरीदती ही नहीं है, लेकिन बिल बकाया होने पर किसानों की लाइट काट दी जाती है."