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नई शिक्षा नीति पर एमपी कांग्रेस ने फिर खड़े किए सवाल, शिवराज सिंह से पूछे ये सवाल

एमपी कांग्रेस ने नई शिक्षा नीति पर एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं. मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि प्रदेश के 45 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, पर भगवान भरोसे चल रहे हैं और सरकार इस प्रदेश को देश में शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाना चाहती है. पढ़िए पूरी खबर...

New education policy
नई शिक्षा नीति

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Published : Aug 12, 2020, 12:19 PM IST

भोपाल। देश की नई शिक्षा नीति को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह नई शिक्षा नीति के मामले में मध्य प्रदेश को आदर्श राज्य बनाना चाहते हैं, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश के 4500 स्कूल शिक्षक विहीन और 13000 स्कूलों को बंद करने की तैयारी चल रही है. नई शिक्षा नीति, शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने का काम कर रही है.

नई शिक्षा नीति पर एमपी कांग्रेस ने फिर खड़े किए सवाल

मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि प्रदेश के 45 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं, पर भगवान भरोसे चल रहे हैं और सरकार इस प्रदेश को देश में शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाना चाहती है. प्रदेश के 13000 स्कूल बंद किए जाने की योजना प्रचलित है. पिछले 15 वर्षों में प्रदेश की प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा का जो बेड़ा गर्क किया गया है. उसे कोरी बयानबाजी से सुधारा नहीं जा सकता है. हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मांग करते हैं कि प्रदेश को शिक्षा क्षेत्र की वास्तविकता से अवगत कराएं. इतनी बड़ी मात्रा में स्कूल बंद करने का उद्देश्य कहीं स्कूल परिसरों को निजी हाथों में सौंपने का तो नहीं है.

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाली है. यह गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली सिद्ध होगी. एक ही परिसर में 1 से अधिक कोर्स चलाने की अनुमति देने का सोच निजी संस्थानों को थोक बंद डिग्रियां बांटने की दुकान ना बना दें, अन्यथा जो नुकसान प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को व्यापम के कारण हुआ है, वह शिक्षा को और रसातल में ले जाएगा. एमफिल समाप्त करने में पीएचडी की गुणवत्ता को हटाने के लिए क्या वैकल्पिक रणनीति होगी, इसका खुलासा होना चाहिए. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि से लागू करने के पहले इसके सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जाए.

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