भोपाल।मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में और उसके आसपास कम से कम सात हेलीपैड बनाए जा रहे हैं. चीता पुनरुत्पादन योजना के तहत चीतों को दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) लाया जाएगा. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. हेलीपैड के निर्माण के बाद यह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन करने के लिए पहुंच रहे हैं. जिसके तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को लाया जा रहा है. केएनपी के अंदर तीन हेलीपैड बनाए जा रहे हैं, जबकि चार बाहर के एरिया में. (pm modi kuno wildlife sanctury visit) (pm modi birthday 17 September cheetah arrival)
पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर करेंगे परियोजना का उद्घाटन:एक शीर्ष अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर इस परियोजना का उद्घाटन करेंगे, अधिकारी ने यह कहते हुए पुष्टि नहीं की कि चीजें जल्द ही आधिकारिक पुष्टी सरकारी स्तर पर की जाएगी. श्योपुर लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी इंजीनियर संकल्प गोल्या ने पीटीआई से पुष्टि की कि हेलीपैड का निर्माण किया जा रहा है. हमें कोई लिखित आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि चीते समुद्र तट पर आ रहे हैं. मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान ने पीटीआई-भाषा को बताया कि हमें कोई लिखित आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि प्रधानमंत्री उस तारीख को आ रहे हैं. मगर यह साफ है कि पीएम के लिए यह तारीख मुफीद है.
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चार से पांच मादा जानवर समेत 12 चीतों को टीकाकरण कर पृथक रखा गया
उन्होंने कहा, "पूरी संभावना है कि चीते इस महीने की 17 तारीख को केएनपी पहुंचेंगे. इस बीच, दक्षिण अफ्रीका (दक्षिण अफ्रीका) की एक टीम राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में है. जो मंगलवार को केएनपी पहुंचने वाला है. दक्षिण अफ्रीका ने अभी तक वहां से चीतों के निर्यात के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के मसौदे पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. जाहिर है, जानवरों को भेजने से पहले कुछ मुद्दों को दूर करने के लिए टीम केएनपी में आ रही थी. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डीन और वरिष्ठ प्रोफेसर यादवेंद्र देव विक्रमसिंह झाला, जो स्थानांतरण योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, का भी केएनपी पहुंचने का कार्यक्रम है. अधिकारियों के मुताबिक, नामीबिया में चीतों को पृथक-वास में रखा गया था और वे भारत आने के लिए तैयार थे. लेकिन यह नहीं हो सका. अधिकारियों ने बताया कि वहां से चीतों को यहां जंगल में छोड़ने से पहले दो से तीन माह तक बाड़े में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि चार से पांच मादा जानवर समेत 12 चीतों को टीकाकरण कर पृथक रखा गया है ताकि उन्हें भारत लाया जा सके.
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नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
वन्यजीव विशेषज्ञ एवं ‘प्रयत्न' के संस्थापक सचिव अजय दुबे ने कहा चीतों के व्यापक शिकार के कारण वे विलुप्त हो गए. अंतिम तीन चीतों को कोरिया के राजा ने जंगलों में मार दिया जो कि अब घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र है. कोरिया जिला वर्तमान में छत्तीसगढ़ में है. इस जिले में देश के अंतिम चीते की मौत 1947 में हुई थी. चीते और इसकी प्रजातियों को 1952 में विलुप्त घोषित किया गया था. महत्वाकांक्षी स्थानान्तरण परियोजना के तहत चीतों के दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से केएनपी आने की उम्मीद है, हालांकि उनके आगमन की सटीक तिथि तय नहीं है. वर्ष 1952 में चीते भारत से विलुप्त हो गए थे. ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' 2009 से चल रहा है, जिसने हाल के कुछ साल में गति पकड़ी है. भारत ने चीतों को लाने के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. WII के विशेषज्ञों ने भी इस क्षेत्र का समर्थन किया. मध्य प्रदेश पहले चीतों का घर था. इसके अलावा, इसका एक अच्छा स्थानान्तरण रिकॉर्ड है, क्योंकि 2009 में पन्ना में बाघों को सफलतापूर्वक फिर से लाया गया था.