International Tiger Day: टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश के बाघों ने भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. प्रदेश के मोहन ने जहां पूरी दुनिया को सफेद बाघ दिए, वहीं कालरवाली ने शावकों के मामले में पूरी दुनिया में नाम कमाया. प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ाने में कालरवाली ने खास भूमिका निभाई. वहीं एमपी के जंगल की दुनिया में एक नर बाघ ने चार बच्चों की परवरिश का जिम्मा उठाकर अपने व्यवहार से वन्य प्राणी विषेशज्ञों को चैंकाया है. 2018 में प्रदेश के वन्य क्षेत्रों में 526 बाघ मिले थे. अक्टूबर से शुरू होने जा रही गणना में उम्मीद है कि यह संख्या 650 के पार पहुंच सकती है.
मोहन ने दुनिया को दिए व्हाइट टाइगर
दुनिया में व्हाइट टाइगर का वंशज मध्यप्रदेश के मोहन को माना जाता है. दुनिया के किसी भी कोने में यदि आज व्हाइट टाइगर हैं, तो वह मोहन की ही संतान माने जाते हैं. 1951 में रीवा नरेश मार्तंड सिंह को शिकार के दौरान सफेद शावक मिला था. इस शावक को उन्होंने पाल लिया. 1960 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने रीवा नरेश से एक सफेद बाघ खरीदा था. रीवा के मुकंदपुर सफारी मोहन की याद में ही बनाया गया था.
कालरवाली ने शावकों के मामले में बनाया वल्र्ड रिकाॅर्ड
पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन कालरवाली ने शावकों को जन्म देने के मामले में विश्व रिकाॅर्ड अपने नाम किया है. कालरवाली ने अब तक आठ बार में 29 शावकाें को जन्म दिया है, जो अपने आप में रिकाॅर्ड है. सितंबर 2005 में जन्मी कालरवाली एक साथ 5 बच्चों को भी जन्म दे चुकी है. कालरवाली इतनी लोकप्रिय हुई कि बीबीसी ने कालरवाली की मां टी-7 और उनके चार शावकों पर एक डाॅक्युमेंट्री तक बनाई थी. इस बाघिन का नाम कालरवाली नामकरण इसे रेडियो काॅलर पहनाने की वजह से पड़ा था. वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने इसकी निगरानी के लिए यह रेडिया काॅलर पहनाया था.