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International Tiger Day: एमपी के बाघों ने भी खूब कमाया नाम, मोहन को पहचानती है दुनिया

मध्यप्रदेश के बाघों ने भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. प्रदेश के मोहन ने जहां पूरी दुनिया को सफेद बाघ (international Tiger day) दिए, वहीं कालरवाली ने शावकों के मामले में पूरी दुनिया में नाम कमाया.

International Tiger Day
टाइगर दिवस

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Published : Jul 29, 2021, 1:24 AM IST

International Tiger Day: टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश के बाघों ने भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. प्रदेश के मोहन ने जहां पूरी दुनिया को सफेद बाघ दिए, वहीं कालरवाली ने शावकों के मामले में पूरी दुनिया में नाम कमाया. प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ाने में कालरवाली ने खास भूमिका निभाई. वहीं एमपी के जंगल की दुनिया में एक नर बाघ ने चार बच्चों की परवरिश का जिम्मा उठाकर अपने व्यवहार से वन्य प्राणी विषेशज्ञों को चैंकाया है. 2018 में प्रदेश के वन्य क्षेत्रों में 526 बाघ मिले थे. अक्टूबर से शुरू होने जा रही गणना में उम्मीद है कि यह संख्या 650 के पार पहुंच सकती है.

जानकारी देते आईएफएस अधिकारी एसएस राजपूत.

मोहन ने दुनिया को दिए व्हाइट टाइगर
दुनिया में व्हाइट टाइगर का वंशज मध्यप्रदेश के मोहन को माना जाता है. दुनिया के किसी भी कोने में यदि आज व्हाइट टाइगर हैं, तो वह मोहन की ही संतान माने जाते हैं. 1951 में रीवा नरेश मार्तंड सिंह को शिकार के दौरान सफेद शावक मिला था. इस शावक को उन्होंने पाल लिया. 1960 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने रीवा नरेश से एक सफेद बाघ खरीदा था. रीवा के मुकंदपुर सफारी मोहन की याद में ही बनाया गया था.

कालरवाली ने शावकों के मामले में बनाया वल्र्ड रिकाॅर्ड
पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन कालरवाली ने शावकों को जन्म देने के मामले में विश्व रिकाॅर्ड अपने नाम किया है. कालरवाली ने अब तक आठ बार में 29 शावकाें को जन्म दिया है, जो अपने आप में रिकाॅर्ड है. सितंबर 2005 में जन्मी कालरवाली एक साथ 5 बच्चों को भी जन्म दे चुकी है. कालरवाली इतनी लोकप्रिय हुई कि बीबीसी ने कालरवाली की मां टी-7 और उनके चार शावकों पर एक डाॅक्युमेंट्री तक बनाई थी. इस बाघिन का नाम कालरवाली नामकरण इसे रेडियो काॅलर पहनाने की वजह से पड़ा था. वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने इसकी निगरानी के लिए यह रेडिया काॅलर पहनाया था.

मां की मौत के बाद पिता बाघ कर रहा परवरिश
जंगल की दुनिया में आमतौर पर माना जाता है कि शावकों को बाघिन ही पालती है. यदि बाघिन की मौत हो जाए, तो बाघ शावकों को मार देता है. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पी-243 ने अपने व्यवहार से सभी वन्य प्राणी विषेशज्ञों को चैंका दिया है. बाघिन की मौत के बाद बाघ छोटे-छोटे शावकों की परवरिश का जिम्मा उठाए हुए है. बाघ पी 243 अपने चार शावकों को पालने में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

एक नजर में समझें कहां कितने हैं बाघ

टाइगर रिजर्व बाघों की संख्या (2018) बाघों की संख्या (2020) कितने बाघ बढ़े
संजय दुबरी 5 13 8
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 40 45 5
पेंच टाइगर रिजर्व 61 64 3
कान्हा टाइगर रिजर्व 88 118 30
पन्ना टाइगर रिजर्व 25 42 17
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 124 164 40

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अक्टूबर से शुरू होगी बाघों की गणना
टाइगर स्टेट का दर्जा पा चुके मध्यप्रदेश के जंगलों से अच्छे संकेत मिल रहे हैं. साल 2018 की तुलना में प्रदेश में करीब 60 फीसदी तक बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. 2018 की गणना के दौरान करीब 124 शवक मिले थे, जिन्हें गिनती में शामिल नहीं किया गया था. इस तरह 2018 से अब तक करीब 200 बाघ बढ़ गए हैं, जो अक्टूबर से शुरू होने वाली काउंटिंग में शामिल होंगे. माना जा रहा है आगामी गणना में बाघों की संख्या 660 के आसपास होने की उम्मीद है. जबकि साल 2018 में मध्यप्रदेश में 526 बाघ गिनती में मिले थे.

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