भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर चंबल की हैं. उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी भी अपना दमखम दिखा रही है. ग्वालियर-चंबल की पांच सीटों पर बीएसपी मजबूत स्थिति में मानी जा रही है. इसे देखते हुए ग्वालियर-संभाग इलाके में चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय होती दिख रही है जिसमें एक तरफ बीजेपी तो दूसरी तरफ कांग्रेस है और बीएसपी इन दोनों दलों का समीकरण बिगाड़ने की तैयारी में है. ग्वालियर चंबल इलाके की जौरा, मेहगांव, भांडेर, अंबाह और मुरैना में मुकाबला फंसा हुआ नजर आ रहा है.
बीएसपी का दबदबा
चंबल का क्षेत्र तीनों पार्टियों के लिए इसलिए भी खास हो गया है. क्योंकि पूरे मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा उपचुनाव की सीटें यहीं से हैं. दूसरी खास बात यह है कि चंबल की 16 सीटों में 11 सीटें ऐसी हैं जहां बीएसपी के उम्मीदवार कभी न कभी जीत दर्ज कर चुके हैं. इस लिहाज से बीएसपी की तैयारी पहले की तरह पुख्ता मानी जा रही है और वह बीजेपी-कांग्रेस को टक्कर देने की स्थिति में दिख रही है. दूसरा यहां भारी संख्या में अनुसूचित जाति के वोटर और इलाका यूपी से सटा है. इसलिए बीएसपी का यहां दबदबा माना जाता है. यही कारण है कि यहां से पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. लिहाजा बीजेपी या कांग्रेस के लिए यहां बसपा वोट कटवा का काम करेगी. दूसरी तरफ कई बागी निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं, वह भी कुछ ऐसी निर्णायक वोट हासिल कर सकते हैं. जो कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकते हैं. इन्हीं कारणों से करीब पांच सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं, जो अप्रत्याशित परिणाम दे सकते हैं.
मजबूत स्थिति में बीजेपी
पहले की तुलना में बीजेपी यहां ज्यादा मजबूत स्थिति में है. क्योंकि यह इलाका ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता है. सिंधिया पहले कांग्रेस में थे लेकिन अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. इस लिहाज से बीजेपी भी यहां मजबूत स्थिति में दिख रही है. इन सबके बावजूद बीजेपी की जीत को एकतरफा नहीं कह सकते. क्योंकि बीएसपी टक्कर देने के लिए मैदान में उतरी है. लेकिन बीजेपी के लिए एक प्लस प्वॉइंट ये जरूर है कि जिन बागी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा है उनमें ज्यादातर विधायक चंबल इलाके से ही हैं.
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जौरा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
कांग्रेस के विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण खाली हुई सीट पर जहां बीजेपी ने पूर्व विधायक सूबेदार सिंह को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने नए चेहरे पंकज उपाध्याय को टिकट देकर ब्राह्मण बाहुल्य सीट का समीकरण अपने पक्ष में करने की कोशिश की है, लेकिन पूर्व विधायक सोने राम कुशवाहा के बसपा से उतरने के कारण यहां त्रिकोणीय मुकाबला बना गया है.
भांडेर सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला
इस सीट पर कभी बहुजन समाज पार्टी का हिस्सा रहे बहुजन संघर्ष दल के संस्थापक फूल सिंह बरैया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. इसी बात से नाराज होकर कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध बसपा से टिकट लेकर चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं. भाजपा से रक्षा सनोरिया चुनाव मैदान में हैं. दल बदल के कारण भाजपा के प्रत्याशी से मतदाताओं की नाराजगी है, तो ब्राह्मण मतदाता फूल सिंह बरैया के विरोध में नजर आ रहे हैं, लेकिन पूर्व गृह मंत्री महेंद्र बौद्ध बसपा के टिकट पर लड़कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कामयाब रहे हैं.
मुरैना में राजोरिया ने बिगाड़ा कांग्रेस और बीजेपी का गणित
मुरैना सीट से मिल रहे अनुमानों पर गौर करें तो बसपा के प्रत्याशी रामप्रकाश राजोरिया काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं. चर्चा तो यहां तक है कि अगर रामप्रकाश राजोरिया को ब्राह्मण मतदाताओं का साथ मिल गया. तो वो जीत के दावेदार हो सकते हैं. इस सीट से कांग्रेस के राकेश मावई और भाजपा के रघुराज कंसाना चुनाव लड़ रहे हैं. खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी दोनों गुर्जर होने के कारण गुर्जर मतदाताओं की वोट बंटती हुई नजर आ रही है.