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MP Budget Session: एमपी प्रति व्यक्ति आय हुई 5.7 प्रतिशत, अर्थव्यवस्था ने पकड़ी इतनी रफ्तार

1 मार्च को मध्यप्रदेश का बजट आना है, इससे पहले सरकार के वित्तमंत्री ने आज मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. आइए जानते हैं आर्थिक सर्वे के प्रमुख बिंदु.

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Published : Feb 28, 2023, 2:51 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 4:06 PM IST

भोपाल।वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए उसके मुख्य बिंदू बताए. इस दौरान उन्होंने कहा कि "एमपी ने पिछले एक साल में करीब 7 प्रतिशत की रफ्तार से वृद्धि की है और राज्य में प्रति व्यक्ति आय में 5.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है."इसके अलावा वित्त मंत्री ने सार्वजनिक वित्त एवं बैंकिंग, सिंचाई क्षमता, कृषि विकास दर, स्वास्थ्य बजट के रिकॉर्ड में वृद्धि जैसे प्रमुख बिंदु गिनाए और एमपी को पॉवर सरप्लस स्टेट बताया.

मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण

प्रति व्यक्ति आय में हुआ इजाफा:जगदीश देवड़ा ने कहा कि "पीएम मोदी द्वारा देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाने के संकल्प में एमपी द्वारा 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का लक्ष्य तय किया है एवं प्रदेश इस ओर तेजी से बढ़ रहा है. स्थिर कीमतों पर इस वर्ष 2022-23 पर आधारित प्रदेश का GSDP 7.06% से बढ़ा है. स्थिर कीमतों पर, प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2011-12 में 38,497 रुपये से बढ़कर 2022-23 के अग्रिम अनुमान के अनुसार रु. 65,023 हो गई, जो इस अवधि के दौरान 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय में विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 5.67% की वृद्धि हुई है."

बजट के आकार में हुई वृद्धि: वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के अनुसार, "मध्य प्रदेश सरकार के बजट का आकार वर्ष 2001 में रु. 16,393 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023 में रु. 2,47,715 करोड़ हो चुका है, बजट में यह वृद्धि वर्ष 2001 की तुलना में लगभग 15 गुना है. प्रदेश का व्यय बजट विगत वर्ष में रु. 2,17,313 करोड़ (पू.अ.) 14% से बढ़कर रु. 2,47,715 (ब.अ.) करोड़ हुआ है, राज्य ने राजकोषीय अनुशासन का निरंतर पालन किया है. ऋण-जीएसडीपी का अनुपात जो कि वर्ष 2005 में 39.5 प्रतिशत था, वह घटकर 2020 में 22.6 प्रतिशत हो गया. राज्य शासन का पूंजीगत व्यय रु. 37,089 करोड़ (पू.अ.) 23.18% से बढ़कर रु. 45,685 (ब.अ.) करोड़ हुआ है."

मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण

राजस्व प्राप्तियों में सुधार, एमपी बना सरप्लस स्टेट:देवड़ा के कहा कि,"वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच, राज्य का अपना राजस्व 7.94 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ा, जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी केवल 0.59 प्रतिशत बढ़ी. 2022-23 (BE) में राज्य की अपनी राजस्व वृद्धि दर 13.32 प्रतिशत रही, जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी पिछले वर्ष की तुलना में 9.81 प्रतिशत बढ़ी, यह राजस्व प्राप्तियों में सुधार की शुरुआत को दर्शाता है, जिससे राजकोषीय समेकन का मार्ग प्रशस्त होता है."इसके अलावा एमपी पॉवर में सरप्लस स्टेट बन गया है.

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डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा एमपी:वित्त मंत्री देवड़ा ने बताया कि"सरकारी बैंकिंग व्यवसाय के क्षेत्र में डिजिटलीकरण की ओर बढ़ते हुए विगत दिसम्बर 2022 को मध्य प्रदेश राज्य सरकार के एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (IFMIS) का भारतीय रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग सोल्यूशन 'ई-कुबेर' के साथ एकीकरण को क्रियान्वित किया गया. इस व्यवस्था के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक में मध्य प्रदेश राज्य के समस्त 54 कोषालयों के आहरण खाते खोले जा चुके हैं और वे सफलतापूर्वक परिचालित हो रहे हैं. इसके अलावा डिजिटल जिला कार्यक्रम के अंतर्गत तीन जिलों बैतूल, इंदौर और विदिशा ने 100 प्रतिशत वित्तीय समावेशन डिजिटल जिले का दर्जा हासिल किया है."

अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि:एमपी सरकार के वित्त मंत्री ने आगे कहा कि"अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए राज्य में वर्ष 2005-06 से 2022-23 की अवधि में प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण (Priority Sector Lending) का विस्तार 15.45 प्रतिशत CAGR की दर से हुआ है, इसका मान 9,437 करोड़ रुपए से बढ़कर रु. 2,15,427 करोड़ हो गया है. इसी क्रम में कृषि ऋण में 13.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई और एम. एस.एम.ई. में 30.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है."

कृषि विकास दर में इजाफा:वित्त मंत्री ने बताया कि "राज्य में कुल अग्रिम (Advances) का 59.41 प्रतिशत ऋण प्राथमिकता क्षेत्र को दिया गया, जो 40 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत लक्ष्य से अधिक है जबकि कृषि को कुल ऋण का 32.2 प्रतिशत प्राप्त हुआ, जो 18 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत लक्ष्य से अधिक है." वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक कुल 3.85 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं."

अर्थव्यवस्था में स्व सहायता समूहों का अभूतपूर्व योगदान:वित्त मंत्री के अनुसार, "मध्यप्रदेश में स्व सहायता समूहों द्वारा अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व योगदान दिया जा रहा है, उल्लेखनीय है की इसमें महिलाओं की बड़ी संख्या काम करती है. एमपी में वर्ष 2012-13 में 19,151 स्व सहायता समूह बने थे, जिसमें 2,34,312 परिवार सम्मिलित थे जो कि दिसंबर 2022 (वर्ष 2022-23) के अंत तक बढ़कर 4,20,838 हो गए हैं. इसमें 47,02, 311 परिवार सम्मिलित हुए हैं. महिला स्व सहायता समूहों को दिसंबर 2022 तक Revolving Funds, Community Revolving Fund, Cash Credit Limit और Startup फंड के माध्यम से रु. 6178.26 करोड़ का कुल वित्तीय सहयोग प्रदान किया गया है."

Last Updated : Feb 28, 2023, 4:06 PM IST

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