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युवा वोटर पर चुनावी दांव, Electric Scooty क्या दिला पाएगी BJP को वोट, ई-व्हीकल में बूम पर चार्जिंग बनेगी चुनौती

MP Electric Scooty Plan: मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा बजट पेश किया है. एमपी में पहली बार ई-बजट (पेपरलेस) बजट आया है. इस बजट को युवा वोटर पर चुनावी दांव माना जा रहा है. मगर साथ ही सरकार लड़कियों को Electric Scooty के वादे के साथ हर घर में पैठ बना रही है. जानें क्या है खास इस बजट में और क्यों यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र की याद दिला रहा है.

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Published : Mar 1, 2023, 2:02 PM IST

भोपाल। 2022 के उत्तप्रदेश के विधानसभा चुनाव में जो स्कूटी कांग्रेस के घोषणा पत्र का हिस्सा थी. 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले वो ई-स्कूटी अब मध्यप्रदेश के बजट का हिस्सा हो गई है. अब ये सबसे बड़ा चुनावी एलान बन चुकी है. लड़कियों को स्कूल तक पहुंचाने वाली स्कूटी शिवराज सरकार को पांचवी पारी में सत्ता तक भी पहुंचाएगी इस दम के साथ खेला गया है ये दांव. छात्राओं से लेकर महिलाओं तक बजट में इस वर्ग में सौगातों की झड़ी की बड़ी चुनावी वजह भी है. 2023 के चुनाव में ये वोटर ही निर्णायक रहने वाला है. प्रदेश के 41 जिलों में महिला वोटर का आंकड़ा 7 लाख तक बढ़ चुका है. जबकि अक्टूबर तक एमपी में 18 साल की उम्र पार करने के साथ 1 लाख नए वोटर तैयार हो जाएंगे. जाहिर है जिनमें बड़ी तादात छात्राओं की होगी.

ई स्कूटी का करंट क्या सत्ता दिलाएगा:2007 के विधानसभा चुनाव में लाड़ली लक्ष्मी जिस तरह से बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हुई थी, उसी तरह छात्राओं के लिए ई-स्कूटी का एलान भी चुनावी दृष्टि से बीजेपी का बड़ा दांव कहा जा रहा है. उसकी वजह है कि स्कूटी भले किसी एक छात्रा के नाम पर आए, लेकिन वोट पूरे परिवार से मिलेगा. ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों तक ये ई-स्कूटी छात्राओं को स्कूल तो पहुंचाएगी ही, साथ ही बीजेपी को भरोसा है कि पांचवी पारी में सत्ता तक पहुंचाने का रास्ता भी इसी ई-स्कूटी के सहारे मिलेगा.

युवा वोटर पर चुनावी दांव:महिला के बाद अब मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों का बड़ा फोकस युवा वोटर पर ही है. कमलनाथ ने भी 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले बेरोजगार युवाओं को स्टाइ फंड देने का एलान किया था और नतीजे उनके पक्ष में आए थे. इस लिहाज से देखें तो चुनाव के एन पहले छात्राओं को दी जाने वाली स्कूटी भी असर दिखाएगी, बीजेपी का ये भरोसा है. यही वजह है कि कर्जे में डूबी सरकार ने स्कूटी पर होने वाला खर्च का जोखिम भी उठा लिया.

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स्कूटी मिलेगी किसे:ई-स्कूटी योजना का लाभ 12वीं क्लास में फर्स्ट डिवीजन में पास होने वाली छात्राओं को मिलेगा. अब सियासी गणित समझिए तो 12 पास करने वाली ज्यादातर छात्राएं या तो 18 बरस की होंगी या चुनाव तक 18 साल की आयु में पहुंच जाएंगी. बेटियों पर शिवराज सरकार का दांव पहला नहीं है. लाड़ली लक्ष्मी योजना में भी बीजेपी ने बेटियों के जरिए पूरे परिवार का वोट मजबूत किया था.

ई व्हीकल में आएगी बूम, लेकिन चार्जिंग रहेगी चुनौती:इनिग्मा ऑटमोबाईल के मैनेजर राजेन्द्र पटेल ने सरकार की ई-स्कूटी छात्राओं को दिए जाने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, इसमें दो राय नहीं कि इस फैसले से ई-स्कूटी की खरीद में बूम आएगा, लेकिन अब भी इसमें कई व्यवहारिक दिक्कते हैं. हालांकि, चार्जिंग सुविधा ई-स्कूटी के साथ ही दी जाती है, लेकिन फिर भी चार्जिंग स्टेशन नहीं होने से यात्रा लंबी दूरी की नहीं की जा सकेगी. फिर चार्जिंग का समय भी इसमें लंबा लगता है. तीन से चार घंटे में ई स्कूटी चार्ज हो पाती है. इसकी तरफ भी ध्यान दिये जाने की जरुरत है ताकि वाकई में ये सुविधाजनक हो सके.

सड़क पर सुरक्षा होगी तभी तो बेटियां चलाए स्कूटी: कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा का कहना है कि, ई-स्कूटी पूरी तरह से शिवराज सरकार का चुनावी दांव है. लेकिन सरकार की ये गलतफहमी भी जल्द दूर हो जाएगी. सड़क पर सुरक्षा होगी तब तो बेटियां स्कूटी चलाएंगी. पहले उनकी शिक्षा और सुरक्षा का तो इंतजाम सरकार करे. इसके बाद ई-स्कूटी देने की बात कहे.

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