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CM हाउस में RSS के साथ मंत्रियों की बैठक: शिक्षा और किसानों के मुद्दे पर हुई चर्चा, संघ ने विधायकों पर दिया फीडबैक

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Published : Apr 15, 2023, 11:15 AM IST

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर पर शुक्रवार देर रात आरएसएस ने बैठक ली, इस दौरान बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, स्कूल शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार, कृषि मंत्री कमल पटेल, समेत कई मंत्री मौजूद रहे. इस बैठक में सरकार की नई शिक्षा नीति, पाठ्यक्रम में बदलाव और किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई, इसके साथ ही संघ ने विधायकों और मंत्रियों की फीडबैक लिस्ट भी सबके सामने रखी.

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शिक्षा और किसान मुद्दे पर एमपी मंत्रियों की बैठक

भोपाल।मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल जारी है, प्रदेश में संघ के सरकार को लेकर सर्वे और उसके बाद विधायकों से लेकर मंत्रियों की ग्राउंड रिपोर्ट के बाद सत्ता और संगठन सख्ते में है. अनुषांगिक संगठनों द्वारा कराए गए सर्वे में मिले फीडबैक के बाद से मंत्रियों और विधायकों की नींद उड़ी हुई है, अब शुक्रवार देर रात तक मुख्यमंत्री निवास पर बैठक हुई. इस बैठक में संघ के अनुषांगिक संगठनों के साथ राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा शामिल हुए.

शिक्षा और किसान मुद्दे पर एमपी मंत्रियों की बैठक

शिक्षा और किसानों को लेकर हुई बैठक: संघ के एजेंडे में किसान और शिक्षा खास है. राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश शुक्रवार रात को ही दिल्ली से भोपाल पहुंचे थे और सीधे मुख्यमंत्री निवास बैठक में शामिल होने के लिए पहुंच गए. आरएसएस द्वारा ली गई इस बैठक में सरकार की नई शिक्षा नीति, पाठ्यक्रम में बदलाव और किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. खास तौर से जिन मंत्रियों से चर्चा की गई, उनमें कृषि मंत्री कमल पटेल, शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव और श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह मौजूद रहे.

संघ का सर्वे चौकाने वाला:सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में संघ द्वारा किए गए सर्वे को भी सामने रखा गया, जिसमें बताया गया कि किसान युवा और मजदूर पर ज्यादा फोकस करना है. सूत्रों की मानें तो संघ ने मंत्रियों और विधायकों की ग्राउंड रिपोर्ट अपने स्तर पर तैयार की है, जिसमें माना जा रहा है कि 2018 की तरह ही इस बार भी 12 से 15 मंत्रियों पर हार का खतरा मंडरा रहा है. संघ ने साफ कह दिया है कि अभी भी वक्त है और स्थितियां सुधार ली जाएंगी, तो फिर से बीजेपी सत्ता में आ जाएगी.

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विधायकों के कामकाज से जनता नाखुश:तकरीबन 40 विधायकों को लेकर संघ की रिपोर्ट नेगेटिव है. सूत्रों के मुताबिक यह विधायक मध्यप्रदेश के किसी एक क्षेत्र से नहीं बल्कि ज्यादा क्षेत्रों से हैं, जिनमें विंध्य महाकौशल, ग्वालियर चंबल और मालवा निमाड़ है. बीजेपी के उम्र क्राइटेरिया को लेकर मंत्रियों और टिकट दावेदारों की सूची तैयार की गई है. संघ की बैठक में यह भी निष्कर्ष निकाला गया की जनता के सामने मंत्रियों और विधायकों की उम्र भी आड़े आ रही है. पिछली बार बीजेपी के फार्मूले में उम्र दराज मंत्रियों को टिकट नहीं देने की रणनीति बनी और उसी एजेंडा के तहत अभी भी बीजेपी चल रही है. यहां पर उन मंत्रियों का लेखा-जोखा लिया गया जो 65 या उससे पास हैं, जिसमें 9 से 10 मंत्री और 35 बड़े नेता शामिल हैं जो कि टिकट की दौड़ में शामिल होने वाले हैं.

क्या इस बार भी उम्रदराज नेताओं से दूरी बनाए रखी बीजेपी:2018 के चुनाव में बीजेपी ने विधायकों के 55 टिकट काटे थे, जिसमें मंत्री भी शामिल थे. हालांकि इसके बाद बीजेपी को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने अपनी गाइडलाइन के मुताबिक उम्रदराज नेताओं से दूरी बनाए रखी. हालांकि उसका खामियाजा भी बीजेपी को भुगतना पड़ा और कुछ सीटों के अंतर से ही बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई. इस बार बीजेपी के पास 127 विधायक हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक जिस तरह से गुजरात में नए चेहरों को मौका दिया गया था, उसी तरह यहां भी बड़ी मात्रा में टिकट काटे जा सकते हैं. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 165 सीटें हासिल की थी.

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