MP बीजेपी में किस रुठे फूफा को मनाने की कसरत जारी, कार्यकर्ताओं के सम्मान से एक पंथ दो काज - BJP leaders Visit karyakarta home
राजनीति में बीते को बिसार के नहीं...बीते को साध के ही आगे बढ़ा जा सकता है. तो एमपी विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने रूठने वाले फूफाओं की साज-संभाल शुरु कर दी है. बीजेपी में कहा जाता है कि, जिताने वाला भी कार्यकर्ता है और हराने वाला भी कार्यकर्ता है. लिहाजा पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं के घर पहुंचकर सम्मान देने के साथ ये संदेश दिया जा रहा है कि, कमल खिलेगा तो इन्हीं जमीनी कार्यकर्ताओं के दम पर.
एमपी बीजेपी कमल पुष्प अभियान
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Published : Feb 23, 2023, 10:03 PM IST
भोपाल। बीजेपी के लिए कहा जाता है कि, इस पार्टी को कार्यकर्ता जिताता भी है और पार्टी हारती भी इसी कार्यकर्ता की अनदेखी से है. क्या यही वजह है कि, बीजेपी में दिल्ली से लेकर भोपाल तक हाशिए पर पड़े पार्टी कार्यकर्ताओ की हूक जागी है. राष्ट्रीय संगठन की ओर से कमल पुष्प अभियान तो पहले ही चल रही है. इसमें पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में पहुंचा दिए गए. कार्यकर्ताओं का मान सम्मान किया जाता है. उन्हें बताया जाता है कि, पार्टी में वो क्यों जरुरी है.
कार्यकर्ताओं के सम्मान से एक पंथ दो काज
कमल पुष्प अभियान:बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय बताते हैं कि, कमल पुष्प अभियान एक कार्यक्रम है. जिसमें हम पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को जाकर सम्मानित करते हैं. उन नेताओं को जिन्होंने अपने जीवन के स्वर्णिम वर्ष पार्टी को दिए हैं. लेकिन अब अपनी अवस्था की वजह से सक्रीय नहीं है. तो जब पार्टी का जब अच्छा समय आया है तो उन्हें ये अहसास कराया जाए कि वो बिसराए नहीं गए हैं.
बीजेपी में किस रुठे फूफा को मनाने की कसरत जारी
कार्यकर्ता का घर पहुंच सेवा सम्मान:बीजेपी में ही एक नया कार्यक्रम शुरु हुआ है. पार्टी कार्यकर्ताओं के घर पहुंच सम्मान. ये कार्यक्रम पार्टी के ही कुछ जमीनी कार्यकर्ताओं ने अपने बूते शुरु किया है. इस अभियान के संयोजक महेश जोशी बताते हैं हम इस कार्यक्रम के जरिए पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के घर पहुंचते हैं. उन्हें शाल श्रीफल हार माला से सम्मानित करते हैं. उन्हें ये अहसास दिलाते हैं कि आप पार्टी की सबसे मजबूत रीढ हैं. आपने जो पार्टी के लिए अपना जीवन दिया उसके लिए पार्टी कृतज्ञ है. जोशी कहते हैं उन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को बहुत अच्छा लगता है. अभी हमने इसमें 60 वर्ष की आयु सीमा तय की हुई है कि इसके ऊपर के ही जो बीजेपी कार्यकर्ता हैं उन्हें सम्मानित करेंगे.
कार्यकर्ताओं का सम्मान एक पंथ दो काज: इसमें दो राय नहीं कि मध्यप्रदेश में 2020 के बाद की बीजेपी के साथ जमींनी कार्यकर्ता को ये महसूस होने लगा है कि, सत्ता की दौड़ में भाग रही बीजेपी जमीन को भूल गई है. उस जमीन को जहां पार्टी को सींचने वाले कार्यकर्ता खड़े हैं. ऐसे कार्यक्रमों के जरिए बीजेपी के उसी दरकिनार कार्यकर्ता को ये अहसास कराया जा रहा है कि, पार्टी की असल ताकत यही कार्यकर्ता है. हकीकत भी यही है कि जब बीजेपी का कार्यकर्ता चुनाव में घर बैठ जाता है तो नतीजे पलट जाते हैं. इस लिहाज से देखिए तो फूफा के रूठने से पहले की कवायद है ये .