भोपाल।एमपी में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और उसे विद्यार्थी-परक बनाने में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली प्रभावी साधन बन सकती है. यह आरक्षित वर्ग और महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल करने में भी निर्णायक साबित होगी. दूरस्थ शिक्षा के विस्तार में भाषा बाधक न बने इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल्स विकसित किया जाना चाहिए. यह बात राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कही. राज्यपाल प्रशासन अकादमी में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा 'इंप्लीमेंटेशन आफ नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020: एप्रोचेस, ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंजेस फॉर ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग एजुटेशनल इंस्टीट्यूट्स' विषय पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के शुभारम्भ सत्र को संबोधित कर रहे थे.
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन में पुस्तकों, अभ्यास सामग्री की डिजिटल उपलब्धता को विस्तारित किया जाना चाहिए. इस प्रणाली को यूजर-फ्रेंडली बनाने के लिए शोध और अनुसंधान किया जाना चाहिए. आवश्यकता यह भी है कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को छात्र हितकारी बनाया जाए. पाठ्यक्रम रोजगार मूलक और ज्ञान सम्पन्न करने वाले होना चाहिए.
एकलव्य थे ओपन यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी:उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पांच हजार वर्षों का इतिहास देखें तो भारत में ओपन यूनिवर्सिटी रही है. हम कह सकते है कि एकलव्य, ओपन यूनिवर्सिटी के ही विद्यार्थी थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्या के बल पर विशिष्ट पहचान बनाई. भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने भी 64 दिनों के शार्ट टर्म कोर्स में 64 कला, 14 विद्या प्राप्त की और भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभागवत का ज्ञान दिया. उन्होंने कहा कि मप्र उच्च शिक्षा विभाग ने सीमित संसाधनों के बावजूद कोविड के कठिन काल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कदम बढ़ाया. गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में भोज मुक्त विश्वविद्यालय की भी प्रमुख भूमिका है. उन्होंने कहा कि इग्नू की तरह भोज विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के लिए चैनल प्रारंभ करें.