भोपाल। आगामी 19 दिसंबर से शुरू होने वाला winter session एक बार फिर बिना विधानसभा उपाध्यक्ष के ही निकलेगा. चूंकि सत्र बहुत छोटा है, लिहाजा इस बार भी उपाध्यक्ष पद को लेकर कोई भी चर्चा नहीं होगी. दोनों पार्टियों की आपसी सहमति न होने से अटका उपाध्यक्ष का फैसला. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को लेकर आमने-सामने हैं. Kamal Nath government के दौरान उपाध्यक्ष का पद सत्तारूढ़ दल के कब्जे में जाने के बाद से भाजपा भी इस बात पर अड़ी हुई है कि इस पद पर उन्हीं के दल का विधायक बैठेगा. इसी कश्मकश में उपाध्यक्ष पद को लेकर पिछले ढाई सालों से कोई फैसला नहीं हो पा रहा है. (Deputy speaker post stuck dilemma bjp congress)
MP Assembly Session भाजपा-कांग्रेस की कश्मकश में फंसा विधानसभा उपाध्यक्ष का चयन, ढाई साल से खाली पड़ा है पद
अक्सर भाजपा चाहे केंद्र हो या प्रदेश सभी जगह कांग्रेस के रोडमैप अपनाती है, तो उसपर विवाद खड़ा हो जाता है. चाहे कोई सरकारी योजना हो या फिर कोई राजनीतिक परंपरा भाजपा बड़ी चतुराई से कांग्रेस के खिलाफ उन्हीं की परंपराओं का उदाहरण देकर कार्य करती है. इसी तरह की एक परंपरा कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा में बनाई. उन्हाेंने विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद अपने पास ही रखकर New tradition की शुरुआत की. अब भाजपा भी उसी Footsteps पर चलते हुए उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखना चाहती है. इसीलिए पिछले ढाई सालों से यहां पर उपाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है. अब कांग्रेस इसे भाजपा की तानाशाही करार दे रही है. (MP assembly saession election of deputy speaker)
बीजेपी का आरोप कांग्रेस ने विधानसभा की परंपरा तोड़ीःमध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद दोबारा सत्ता में आई भाजपा सरकार के कार्यकाल के दो साल आठ महीने पूरे हो रहे है. और अब तक विधानसभा में उपाध्यक्ष का चयन नहीं हो पा रहा है. प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तब अध्यक्ष के साथ-साथ उपाध्यक्ष का पद भी कांग्रेस ने अपने पास रखा था. इसके बाद जब कांग्रेस सरकार गिरी और भाजपा को फिर सत्ता में आने का मौका मिला तो भाजपा ने रामेश्वर शर्मा को लंबे समय तक Protem Speaker बनाए रखा. इसके बाद गिरीश गौतम को 22 फरवरी 2021 से अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन हिना कांवरे का कार्यकाल 24 मार्च 2020 में समाप्त होने के बाद अब तक किसी को भी उपाध्यक्ष नहीं बनाया गया है. (Bjp allegation Congress broke tradition assembly)
क्यों नहीं बन रहा कोई उपाध्यक्षः विधानसभा की परंपरा के मुताबिक Ruling party का अध्यक्ष बनता है तो विपक्षी दल का उपाध्यक्ष बनता है. अध्यक्ष का चयन निर्विरोध हो जाता है और बदले में उपाध्यक्ष के पद पर विपक्षी दल से प्रस्तावित विधायक को मौका दिया जाता है. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जब अध्यक्ष बनाने की बात आई तो भाजपा ने विजय शाह को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस ने ने Unopposed election की मांग की. जिसे उस समय विपक्षी दल भाजपा ने नहीं माना था. वोटिंग के बाद मतों के आधार पर एनपी प्रजापति को अध्यक्ष बनने का मौका मिला. इसके चलते उपाध्यक्ष पद भी कांग्रेस ने उस समय भाजपा के विधायक को नहीं दिया और इस पद के लिए भी चुनाव हुए भाजपा ने जगदीश देवड़ा और कांग्रेस ने हिना कांवरे को उम्मीदवार बनाया. नतीजों के आधार पर हिना कांवरे को उपाध्यक्ष बनाया गया था. अब जब भाजपा की सरकार बन गई है तो भाजपा भी उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को नहीं देना चाहती. (Post is lying vacant for 2 and half years)
क्या कहते हैं अध्यक्ष गिरीश गौतमः Assembly Speaker Girish Gautam का कहना है की सदन की सत्रावधि कम है और ऐसी भी फिलहाल जनहित के मुद्दे है जिनपर चर्चा होना है. कांग्रेस ने विधानसभा की परपंपरा को तोड़ा था, जिसके चलते अभी तक उपाध्यक्ष पद का फैसला नहीं हो पाया है, लेकिन जल्द ही विधानसभा को उपाध्यक्ष पद मिले इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. (MP assembly saession election of deputy speaker)