भोपाल। बीजेपी ने जिस तरह पार्टी की चुनावी कमान अनुभवी चेहरों को सौंप रखी है. इससे ये साफ है कि पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 जीतने के लिए बुजुर्ग नेताओं के सहारे है. पार्टी में उम्र का क्राइटेरिया ताक पर दिख रहा है. उम्र के क्राइटेरिया को लेकर पार्टी नेता अलग -अलग बयान पहले भी देते रहे और अब भी दे रहे हैं. पार्टी में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जा रही, जबकि युवाओं को तवज्जो नहीं मिल रही. इसको लेकर बीजेपी महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि हमारी पार्टी कैडर बेस्ड है. यहां पर कब, किसे, कौन सी जिम्मेदारी दी जाती है, ये सब बैठकर तय होता है.
गुजरात फॉर्मूला पर एमपी में सस्पेंस :सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने बड़े स्तर पर टिकट काटे तो इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. बीजेपी की सर्वे रिपोर्ट में पार्टी को नुकसान उनके नेताओं की बगावत से होगा. लिहाजा पार्टी इतना बड़ा खतरा मोल नहीं लेगी. बीजेपी में कई दिग्गज ऐसे हैं जिनका टिकट काटा तो आसपास की सीटें भी पार्टी के हाथ से चली जाएंगी. इन समीकरणों को देखते हुए एमपी में सीएम शिवराज सिंह लगातार चुनावी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. दूसरी तरफ गुजरात पैटर्न पर चुनाव के टिकट पर नेताओं ने हामी नहीं भरी है. 2018 के चुनाव में पार्टी ने 5 मंत्रियों के टिकट काटे थे. जबकि सिटी 55 सिटिंग एएमएलए के टिकट काटे थे.
65 प्लस वाले नेताओं को जिम्मा :केंद्रीय चुनाव समिति का प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर को बनाया है. उनकी उम्र 65 प्लस है. कैलाश विजयवर्गीय की उम्र भी करीब 67 साल है. जयंत मलैया की उम्र 75 के करीब है. प्रह्लाद पटेल, रामपाल सिंह भी 60 प्लस हैं. वहीं प्रभात झा बुजुर्ग चेहरा हैं, इनको चुनाव समिति में इसलिए तवज्जो दी गई है कि इनका अनुभव पार्टी को मिले. फौरी तौर पर नजर डालें तो चुनावी कमान युवाओं को नहीं सौंपी है. बल्कि पार्टी ने बुजुर्ग चेहरों पर भरोसा जताया है.