भोपाल।चुनावों को देखते हुए शिवराज सरकार सोशल इंजीनियरिंग में जुट गए हैं. लाड़ली बहना योजना में महिलाओं को एक हजार रुपए मासिक देने के एलान के बाद इस साल के वित्तीय बजट में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. सूत्रों की माने तो इस बार विभाग के बजट में तीन गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी. योजना के नियमों को लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बैठक लेने वाले हैं. जिसमें विभाग का बजट को लेकर प्रेजेंटेशन होगा.
MP Assembly Election 2023: शिवराज की सोशल इंजीनियरिंग, इस बार 3 गुना बढ़ जाएगा प्रदेश का बजट
मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिवराज सरकार के बजट में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा. शिवराज आगामी जून से लाड़ली बहना योजना के तहज 1 हजार रुपए प्रतिमाह एमपी की महिलाओं को देने जा रहे हैं. इसके चलते इस साल प्रदेश के बजट में 3 गुने से भी अधिक वृद्धि होने की संभावना है.
महिला बाल विकास के लिए 3 गुना ज्यादा मिलेगा बजटः मिली जानकारी के मुताबिक एक करोड़ महिलाओं को लाड़ली बहना योजना में सालाना 12 हजार रुपए दिए जाएंगे. विभाग के मुताबिक 5 मार्च से आवेदन जमा कराने का काम महिला और बाल विकास विभाग करेगा. ग्रामीण और शहरी इलाकों में वार्षिक बजट पांच हजार करोड़ से शुरू कर दिया जाएगा. सीएम ने अधिकारियों से कहा है कि इस राशि को जून माह से शुरू कर दिया जाए, जिससे चुनाव में इसका फायदा मिल सके. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन गुना से अधिक बजट बढ़ जाएगा और अभी योजना के नियम और शर्तों को अंतिम रूप दिया जाना है. मुख्यमंत्री को योजना का ड्राफ्ट भेजा गया है. माना जा रहा है कि अगली कैबिनेट में ये प्रस्ताव पारित कर दिया जाएगा.
CM शिवराज का बड़ा ऐलान, लाडली बहना के बाद बुजुर्गो पर खेला दांव, जानें क्या है अगला प्लान
5 साल के लिए योजना, किसको मिलेगा फायदाः योजना में यह बात भी तय हो चुका है कि जिस विवाहित और अविवाहित महिला के पास पांच एकड़ से कम जमीन है और वह आयकर दाता नहीं है, वह इस योजना में लाभ पाने की हकदार होगी. इसकी जानकारी सामने आने के बाद शहरी और ग्रामीण इलाकों में समग्र आईडी बनवाने वाले महिलाओं की भीड़ जुटने लगी है. उधर योजना के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि गाइडलाइन के मुताबिक इस योजना की समय अवधि पांच साल की रखी गई है. इसे आगे बढ़ाया जाएगा या नहीं, यह आने वाले समय में सरकारें तय करेंगी. इस योजना के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजरों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी. इस योजना के लागू होने के बाद करीब 18 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च आने वाला है.