कांग्रेस प्रवक्ता का बयान भोपाल।तुम्हारे मामा शिवराज से तुम्हारे भाई शिवराज की नई पहचान भर का ये बड़ा रद्दोबदल नहीं है. प्रदेश भर की इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आने वाली महिलाओं के बटुए में हर महीने एक हजार की सौगात के जरिए एक पंथ से कई काज साधे जा रहे हैं. सीएम शिवराज ने सबसे पहले तो अपने उस वोट बैंक को और पक्का किया है, 2008 के बाद से जिसने लगातार बीजेपी की जीती की राह आसान की है. फिर इस वर्ग पर मेहरबानी इसलिए भी कि 2018 में पुरुषों से ज्यादा वोटिंग परसेंटेज देने वाली महिलाओं की 2023 के विधानसभा चुनाव में तादात भी बढ़ गई है. हालांकि महिलाओं की मुफ्त की रेवड़ी बांटने पर कांग्रेस सवाल उठा रही है कि कर्ज में डूबी सरकार और कितना डूबेगी, और महिला संगठन पूछ रहे हैं कि एक हजार रुपए के साथ क्या महिला सुरक्षा और मातृत्व में उसके स्वास्थ्य की गारंटी भी सरकार देगी.
लाडली लक्ष्मी के बाद लाडली बहना क्यों याद आई:शिवराज सरकार की लाडली लक्ष्मी योजना का करिश्मा था कि बीजेपी ने सत्ता की हैट्रिक बनाई और शिवराज को मामा की पहचान मिली. अब भी मंजिल वही है, केवल रास्ता बदला है. लिहाजा सीएम शिवराज ने चुनावी साल की शुरुआत में ही लाडली बहना योजना की लांचिंग कर दी है. हर जाति वर्ग की महिला पर लागू इस योजना में हर महिला के खाते में मासिक रुप से एक हजार सालाना बारह हजार और पांच साल में ये राशि साठ हजार हो जाएगी. इस योजना का एक क्राइटेरिया है, वो है आयकर देने वाली महिलाएं इसमें शामिल नहीं होंगी. अब बड़ा सवाल ये कि अठारह साल से भांजियों की चिंता करने वाले मामा को बहन की फिक्र क्यों हुई. तो वजह ये है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत जो करीब 70 फीसदी था. 2018 में 73.86 फीसदी पर पहुंच गया. 2018 के विधानसभा चुनाव से ये ट्रेंड बदला है, बीते चुनाव में मध्यप्रदेश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की वोटिंग तीन प्रतिशत तक बढ़ गई थी. दूसरा बड़ा बदलाव ये भी हुआ है कि हाल ही में हुए वोटर लिस्ट अपडेशन में जो 13 लाख से ज्यादा नए मतदाता बढ़े हैं, उनमें महिला वोटर की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. करीब 75 हजार महिलाओं के नए नाम इस सूची में बढ़े हैं. तो इन आंकड़ों के नजरिए से देखिए तो शिवराज ने एकदम मौके से दांव खेल दिया है.
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महिला की सुरक्षा और सेहत का क्या: अब इस स्कीम के लागू होने के पहले सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल महिला सुरक्षा का है. छह महीने पहले तक का आंकड़ा ये कहता है कि एमपी में छह फीसदी बलात्कार के मामले बढ़े हैं. दूसरी तरफ मातृ मृत्युदर में हालात इतने भयावह है कि आसाम के बाद मध्यप्रदेश देश का दूसरा प्रदेश है, जहां बच्चे को जन्म देना ही सबसे बड़ा जोखिम है. प्रदेश में महिला मुद्दों पर काम कर रहे संगठन शिवराज सरकार की महिलाओं को दी जाने वाली इस सौगात के शुरु होने से पहले सवाल उठा रहे हैं. अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष नीना शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि जो प्रदेश महिला हिंसा के मामलो में टॉप टेन से नीचे नहीं आया हो. जिस प्रदेश में असम के बाद सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु दर हो. सवाल ये है कि वहां महिला की सुरक्षा की गांरटी और यहां मां बनने वाली स्त्री की सेहत के मुद्दे को क्या इतनी आसानी से दरकिनार किया जा सकता है. क्या ये एक हजार रुपए उसका विकल्प हो सकते हैं.
एक हज़ार से होगा क्या मुख्यमंत्री जी: कांग्रेस आरोप लगा रही है कि चुनावी साल में सीएम शिवराज की ये एक और घोषणा है. महिलाओं के साथ किया गया एक और छलावा. कांग्रेस की मीडिया सेल की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ईटीवी भारत से बातचीत में कहती हैं कि मध्यप्रदेश पहले ही कर्ज में डूबा हुआ है. अब ये एक हजार के झुनझुने के साथ फिर बड़ा कर्ज लेने की तैयारी और दूसरी तरफ इस एक हजार की राशि से महिला के जीवन मे क्या बदलाव आएगा, ये मुख्यमंत्री जी बताएं. एक सिलेण्डर आएगा मुश्किल से. संगीता शर्मा ने कहा कि ईटीवी के जरिए मैं तो मुख्यमंत्री जी को ये कहना चाहती हूं कि वो इस तरह के छलावे करना बंद करें.
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शिवराज सरकार मे सशक्त हुईं महिलाएं: बीजेपी की प्रवक्ता नेहा बग्गा ने महिलाओं को एक हजार रुपए की राशि दिए जाने को लेकर सीएम शिवराज का अभिनंदन किया है. उन्होंने कहा कि आधी आबादी को पूरा आसमान देने का प्रयास शिवराज सरकार में हुआ है. इसी सरकार में लोकल बॉडी के चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया. महिलाओं को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक रुप से सशक्त करने के प्रयास इसी सरकार में हुए हैं.