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MP Assembly Election 2023: मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले चल रहा मुफ्त का खेल...कर्जे में एमपी, निकल गया तेल - शिवराज सरकार ने लिया 3 लाख करोड़ का कर्ज

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां दिल खोलकर रेवड़ियां बांट रही है. जबकि शिवराज सरकार 2023-24 के बजट से सवा तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है. वहीं कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर मुफ्त रेवड़ियां बांटने को लेकर निशाना साधा है.

MP Assembly Election 2023
चुनाव से पहले चल रहा मुफ्त का खेल

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Published : Aug 3, 2023, 9:52 PM IST

भोपाल। सतना के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि टैक्सपेयर जब ये देखते हैं कि उनसे लिया गया पैसा रेवड़ियां बांटने में खर्च हो रहा है तो उसे बहुत दुख होता है. क्या मानें कि एमपी में ही पीएम मोदी के इस बयान पर गौर नहीं किया गया. विधानसभा चुनाव के तीन महीने पहले एमपी में दिल खोलकर रेवड़ियां बांटी जा रही हैं. जिस पर शिवराज सरकार 2023-24 के बजट से सवा तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है. लाडली बहना योजना की हर महीने की एक करोड़ से ज्यादा लाभान्वितों के अलावा युवाओं बुजुर्गों और कर्मचारियों के लिए खुले हाथ से खर्च कर रही शिवराज सरकार जिस राह पर है, इसका खामियाजा पार्टी 1992-93 के चुनाव में भुगत चुकी है. पटवा सरकार के दौर में किसान कर्जमाफी के बावजूद बीजेपी सरकार नहीं बना पाई थी. सवाल ये है कि चुनाव जीतने कर्ज लेकर घी पीने की तर्ज पर बांटी जा रही रेवडियां चुनाव में जीत दिलाए ना दिलाए तो एमपी की आर्थिक स्थिति को कहां पहुंचा देंगी.

एमपी में कांग्रेस से बीजेपी तक मुफ्त मुफ्त: शिवराज सरकार की गेम चेंजर स्कीम कही जा रही लाडली बहना योजना में सरकार हर महीने एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते में एक हजार रुपए डाल रही है. शुरुआती जो अनुमान था, उसमें इस योजना पर सरकार का बजट पांच साल में 61 हजार करोड़ के ऊपर था. जबकि पहले साल में ही 10 हजार करोड़ से ज्यादा एक साल का खर्च बैठ रहा है. इसके बाद लाडली बहना योजना के लाभार्थी की उम्र 23 वर्ष कर दिए जाने के बाद तो ये आंकड़ा और बढ़ेगा. ये योजना बीजेपी की जीत की गांरटी भले ना बने, लेकिन इस योजना से सरकार पर खर्च बढ़ना तय है. सवाल ये भी है कि जब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही फ्री के पक्ष में नहीं है तो कैसे ये रेवड़ियां बांटी जा रही हैं.

बैठक करते वीडी शर्मा

अब घोषणा पत्र में कौन से वादे करेगी बीजेपी:सवाल ये है कि चुनाव से पहले युवाओं को स्टाइफड, महिलाओं को एक हजार की सौगात, बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा, मेधावी छात्रों को स्कूटी जैसी सौगातें पहले ही दे चुकी बीजेपी अब घोषणा पत्र में बीजेपी को कौन सी सौगातें देगी. जानकारी के मुताबिक पार्टी में अघोषित निर्देश हैं कि घोषणा पत्र में मुफ्त की रेवड़ियों का कोई वादा नहीं होगा. उस पर चुनौती ये कि कमोबेश समाज के हर वर्ग पर पार्टी पहले ही हाथ खोलकर पैसा खर्च कर चुकी है. बीजेपी का संकट आप और कांग्रेस के वादों का मुकाबला भी है, जो मुफ्त बिजली से लेकर मुफ्त शिक्षा स्वास्थ्य की गारंटी दे रहे हैं.

कर्ज में डूबा प्रदेश का आम आदमी सरकार को नहीं चिंता: कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा कहती हैं कि "केवल जनता को भरमाने के लिए मुफ्त की रेवड़ियां बांटी जा रही हैं. लेकिन सरकार को चिंता नहीं है कि करोड़ों रुपए का कर्ज ले चुकी शिवराज सरकार ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति कहां पहुंचा दी है."

वीडी शर्मा और अमित शाह

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अन्त्योदय सरकार की प्राथमिकता: बीजेपी प्रवक्ता हितेष वाजपेयी के मुताबिक "सरकार का पहला कर्तव्य आर्थिक रूप से पिछड़ों की मदद करना है. जिसे अन्त्योदय कहते हैं. सरकारें बेहतर आर्थिक प्रबंधन के लिए जानी जाती हैं न कि वे प्रॉफिट कमाने कि संस्थाएं हैं. हमारे सारे राजकोषीय मापदंड उचित सीमाओं में रहना चाहिए, फिर हम कितना भी कर्ज लेकर अपनी वित्तीय साख के साथ विकास कर सकते हैं. मध्यप्रदेश कि माली हालत अच्छी है, कांग्रेस दुष्प्रचार करती है जबकि कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रेस बुरी स्थितियों से गुजर रही है.

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