भोपाल। 2023 में बूथ कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देने एमपी आ रहे पीएम मोदी ने 25 साल पहले 1998 में एमपी के विधानसभा चुनाव की कमान संभाली थी. बीजेपी के संगठन महामंत्री रहते हुए नध्यप्रदेश के चुनाव प्रभारी रहे पीएम मोदी ने गुजरात से क्यों बुलवाया था झंडे के कपड़ा. दो महीने लगातार मध्यप्रदेश की 320 सीटों की नब्ज़ पकड़कर वो कौन सा प्रयोग किया था. 2003 के विधानसभा चुनाव में जो बीजेपी की एहितासिक जीत की जमीन बनी.
1998 में मोदी ने दिया एमपी को जीत का फार्मूला: 1998 में पीएम मोदी मध्यप्रदेश में चुनाव प्रभारी के तौर पर आए. पार्टी में संगठन महामंत्री का दायित्व निभा रहे मोदी को 1998 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव की कमान सौंपी गई थी. उस समय पीएम मोदी के साथ चुनावी तैयारियों में दिन रात जुटे रहे पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा बताते हैं, शुरुआत में दो महीने के लिए जब मोदी मध्यप्रदेश आए तो उन्होंने फिर दिल्ली गुजरात का रुख ही नहीं किया. पूरा समय एमपी को दिया. और इतनी बारीकी से यहां की राजनीति को समझा कि किस विधानसभा सीट का क्या स्वभाव है. किसके पक्ष में माहौल जातिगत समीकरण क्या हैं. एक एक विधानसभा सीट का खाका तैयार कर लिया था. रघुनंदन शर्मा बताते हैं कि उसी समय पार्टी में एक प्रयोग हुआ था पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं का. जो एक महीने के लिए अपना घर छोड़कर पार्टी के लिए काम करेंगे. पार्टी ने इन्हें नाम दिया विस्तारक. प्रदेश भर से ऐसे ढाई सौ कार्यकर्ता मैदान में निकले थे. इनका दायित्व था कि एक महीने लगातार ये चुनाव संचालक की मदद करेंगें. रघुनंदन शर्मा ने बताया कि इन पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को विजय व्रती कार्यकर्ता नाम दिया और ये संकल्प दिलाया कि 320 सीटों पर निकलने वाले ये विजयव्रती सरकार बनाकर ही लौटेंगे. रघुनंदन शर्मा कहते हैं असल में 2003 में एमपी में जो सरकार बनी उसकी नींव मोदी रख चुके थे.