भोपाल।1984 का साल था, तारीख 17 अप्रैल. जब विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने मध्यप्रदेश की विधानसभा झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले मध्य प्रदेश के लोगों के लिए बड़ा ऐलान किया था और कहा था कि अब वे बेघर बेदर नहीं रहेंगे. अब उनके घर पर उनका कानूनी हक होगा. जिसे बाद में पट्टे का नाम दिया गया. मुफ्त रेवड़ी यानि इसे फ्री बी की नींव कहा जा सकता है. 37 साल बाद लाड़ली बहना योजना में 1250 की किस्त, स्कूटी लैपटॉप, सीखो कमाओ और महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण के झुनझुने के साथ जो रेवड़ियों का सैलाब लेकर आया है. हालाकि राजनीति में मुफ्त का दरवाजा दक्षिण से खुला.
तमिलनाडू आंध्र प्रदेश से शुरु हुई इन स्कीमों में शुरुआत मुफ्त के अनाज से हुई. जो बाद में टीवी वॉशिग मशीन और साड़ी के ऑफर तक पहुंच गई. इस वक्त देश में खुले हाथ से रेवड़ियां बांटने वालों में शिवराज अरविंद केजरीवाल को चुनौती बनते दिखाई दे रहे हैं. 2007 से लाड़ली लक्ष्मी योजना के साथ सत्ता में पैर जमाने वाले शिवराज को यकीन है कि लाड़ली बहना योजना स्कीम बीजेपी के सत्ता के रथ को नए रिकार्ड की तरफ ले जाएगी, लेकिन मुफ्त रेवड़ियों की सौगात देने में 19 साल में 16 गुना ज्यादा कर्ज बढ़ा चुकी शिवराज सरकार ने क्या सूबे की आर्थिक सेहत का ख्याल रखा है.
राजनीति में मुफ्त मुफ्त...अर्जुन सिंह से शिवराज तक: एमपी की राजनीति में मुफ्त कल्चर का सियासी लाभ भले बीजेपी ने भरपूर लिया हो. लेकिन इसकी शुरुआत अर्जुन सिंह के दौर में 1984 के आस पास हो गई थी. ये उस समय कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम अर्जुन सिंह का बड़ा दांव था. उन्होंने प्रदेश भर में झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को उनकी झुग्गी का मालिकाना हक देते हुए उन्हें पट्टा दे दिया था. इसी के साथ दी गई थी एक बत्ती कनेक्शन की सौगात भी. इस समय तक दक्षिण के राज्य तमिलनाडू और आंध्र प्रदेश में मुफ्त अनाज दिए जाने की शुरुआत हो रही थी. स्कूलों में बच्चों को खाना दिया जा रहा था. फिर चुनाव के दौरान साड़ियां-शराब पैसा भी खूब बंटा, लेकिन दिग्विजय सिंह ने अर्जुन सिंह की सियासत के इस हिस्से को उस तरह नहीं थामा.
हैरत की बात है कि मुफ्त रेवड़ियों के मामले में अर्जुन सिह के नक्शेकदम पर चले तो बीजेपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. 2007 का साल था, जब शिवराज ने चनाव के ठीक साल भर पहले लाड़ली लक्ष्मी योजना लॉच की. इसके नतीजे 2008 के बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में भी दिखाई देते रहे. हालांकि तब तक शिवराज ने तीर्थ दर्शन संबल जैसी मुफ्त की सौगातों वाली योजनाओं की शुरुआत कर दी थी. छात्रों को लैपटॉप दिया जा रहा था. लंबा वनवास भोग रही कांग्रेस भी कर्जमाफी की सौगात का सपना दिखाकर ही सत्ता में आई, लेकिन बीजेपी ने 2018 में जो झटका झेला. 2023 में पार्टी ने कोई कसर ही नहीं छोड़ी.