भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने दूसरी पार्टी से आए नेताओं को जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है. हालांकि टिकट के लिए बगावत करने वाले कई नेताओं के लिए दांव उलटा पड़ गया. आधा दर्जन से ज्यादा नेता टिकट की आस में दलबदल कर दूसरी पार्टी में पहुंचे, लेकिन उन्हें टिकट ही नहीं मिल सका. अब ऐसे नेता मन मारकर बैठ गए हैं या फिर टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय मैदान में उतरना पड़ रहा है. वहीं बीजेपी छोड़ चुके नारायण त्रिपाठी अपनी नई पार्टी बनाकर मैदान में उतर गए हैं.
बे-टिकट हुए नेता:बीजेपी से टिकट न मिलने की आशंका और कांग्रेस से टिकट की उम्मीद में दलबदल किया, लेकिन फिर भी मायूस ही रहे. यह स्थिति है कोलारस से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी और बीजेपी में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अवधेश नायक की. वीरेन्द्र रघुवंशी ने इस आशंका में पार्टी छोड़ी थी कि पार्टी उनका टिकट काट देगी. वे कांग्रेस में शामिल हो गए, उन्हें शिवपुरी विधानसभा सीट से टिकट का भरोसा था, लेकिन पार्टी ने ऐन वक्त पर इस सीट से केपी सिंह को मैदान में उतार दिया. तमाम विरोध के बाद भी पार्टी ने उन्हें किसी भी सीट से टिकट नहीं दिया. यही स्थिति बीजेपी में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अवधेश भार्गव के साथ हुई. उन्होंने टिकट की आस में बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा. कांगेस ने पहली सूची में उन्हें दतिया से उम्मीदवार घोषित कर दिया, लेकिन राजेन्द्र भारती के तगड़े विरोध के चलते पार्टी को अपना फैसला बदलना पड़ा. कांग्रेस ने अवधेश नायक का टिकट काट दिया. इस तरह यह दोनों नेता बेटिकट ही रह गए.