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Defection Of Leaders In MP: टिकट पाने के लिए छोड़ी पार्टी, उल्टा पड़ा दांव, पढ़िए इन नेताओं की कहानी - एमपी में नेताओं की घर वापसी

एमपी के चुनाव में नेताओं की बगावत और दलबदल खूब देखने मिला. कई नेताओं ने टिकट के आस में पार्टी बदली, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला, तो फिर घर वापसी कर ली. ऐसे कई नेता हैं, जो बिना टिकट ही रह गए.

MP Assembly Election 2023
एमपी विधानसभा चुनाव 2023

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 27, 2023, 10:41 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने दूसरी पार्टी से आए नेताओं को जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है. हालांकि टिकट के लिए बगावत करने वाले कई नेताओं के लिए दांव उलटा पड़ गया. आधा दर्जन से ज्यादा नेता टिकट की आस में दलबदल कर दूसरी पार्टी में पहुंचे, लेकिन उन्हें टिकट ही नहीं मिल सका. अब ऐसे नेता मन मारकर बैठ गए हैं या फिर टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय मैदान में उतरना पड़ रहा है. वहीं बीजेपी छोड़ चुके नारायण त्रिपाठी अपनी नई पार्टी बनाकर मैदान में उतर गए हैं.

बे-टिकट हुए नेता:बीजेपी से टिकट न मिलने की आशंका और कांग्रेस से टिकट की उम्मीद में दलबदल किया, लेकिन फिर भी मायूस ही रहे. यह स्थिति है कोलारस से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी और बीजेपी में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अवधेश नायक की. वीरेन्द्र रघुवंशी ने इस आशंका में पार्टी छोड़ी थी कि पार्टी उनका टिकट काट देगी. वे कांग्रेस में शामिल हो गए, उन्हें शिवपुरी विधानसभा सीट से टिकट का भरोसा था, लेकिन पार्टी ने ऐन वक्त पर इस सीट से केपी सिंह को मैदान में उतार दिया. तमाम विरोध के बाद भी पार्टी ने उन्हें किसी भी सीट से टिकट नहीं दिया. यही स्थिति बीजेपी में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अवधेश भार्गव के साथ हुई. उन्होंने टिकट की आस में बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा. कांगेस ने पहली सूची में उन्हें दतिया से उम्मीदवार घोषित कर दिया, लेकिन राजेन्द्र भारती के तगड़े विरोध के चलते पार्टी को अपना फैसला बदलना पड़ा. कांग्रेस ने अवधेश नायक का टिकट काट दिया. इस तरह यह दोनों नेता बेटिकट ही रह गए.

नौकरी भी गई और टिकट भी:निशा बांगरे ने खादी पहनने की चाह में खूब पापड़ बेले. डिप्टी कलेक्टर की नौकरी तक छोड़ दी. विधानसभा चुनाव में आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए निशा बांगरे को एक दिन के लिए जेल तक जाना पड़ा. सरकार से इस्तीफा मंजूर कराने के लिए उन्होंने कोर्ट तक की शरण ली, लेकिन जब इस्तीफा मंजूरी हुआ, उसके ठीक पहले पार्टी ने इस सीट से दूसरे प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया. वे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर चुकी हैं और निर्दलीय भी मैदान में उतरने का मन बदल चुकी हैं. यानी उनकी नौकरी भी गई और टिकट भी.

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टिकट कटा तो की घर वापसी:भिंड विधानसभा सीट से संजीव कुशवाहा ने पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर जीता था, उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें बीजेपी से टिकट मिल जाएगा. इस उम्मीद में उन्होंने बीजेपी का गमछा गले में डाल लिया, लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने घर वापसी करने में देर नहीं लगाई. बीजेपी ने यहां से नरेन्द्र सिंह कुशवाहा को टिकट दिया तो संजीव कुशवाहा फिर बसपा के टिकट पर मैदान में उतर गए हैं. वैसे पाला बदलने वालों में पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह, ममता मीणा जैसे कई नेताओं का नाम है, जिन्होंने बीजेपी से टिकट न मिलने पर बसपा और आप से पर्चा भर दिया है.

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