भोपाल। एमपी में चुनावी साल लगते ही तीन बीजेपी विधायकों की बगावत पार्टी का सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है. सवाल ये है कि इन नेताओं को इस बगावत के लिए ताकत कहां से मिल रही है. पार्टी के सामने आंखे तरेर पा रहे हैं. चुनावी साल में ये जोखिम उठाने की स्थिति बनी कैसे. क्या वाकई इनके तेवर चुनावी साल में बीजेपी के लिए मुश्किल बनने जा रहे हैं. विंध्य में नारायण त्रिपाठी की हुंकार मालवा में पार्टी के मजबूत ब्राह्मण चेहरे के तौर पर गिने जाने वाले दीपक जोशी और सिंरोज लटेरी क्षेत्र से आने वाले बीजेपी विधायक उमांकात शर्मा बीजेपी में हाशिए पर पड़े ये तीन विधायकों का चुनाव पूर्व प्रबंधन कर पाएगी बीजेपी.
दीपक जोशी क्या प्रेशर टैक्टिक्स काम आएगी: पूर्व मंत्री दीपक जोशी मालवा में बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा जरुर हैं, लेकिन अब भी उनकी पहचान का बड़ा हिस्सा बीजेपी के संत पुरुष कैलाश जोशी के बेटे से ज्यादा नहीं. फिर सवाल ये कि जो बगावती तेवर वो दिखा रहे हैं और लंबे समय हाशिए पर रहने के बाद बीजेपी को संवाद के लिए मजबूर कर रहे हैं. वो ताकत उन्हें कहां से मिल रही है. इसमें दो राय नहीं कि उन्होंने बीते चार साल भूल सुधार की तर्ज पर अपने क्षेत्र में जनता के बीच संवाद बढ़ाया है. हाटपिपल्या और बागली सीट पर उनकी सक्रीयता का दायरा यहां तक आ गया कि उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं के लिए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने में गुरेज नहीं किया. पीएम आवास भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना उसी की मिसाल है. एकदम मौके से उन्होंने कांग्रेस के दामन थाम लेने के अटकलों को खुद हवा दी. जब लगा कि बात सही जगह तक पहुंच गई. तो यू टर्न भी ले लिया कि वेट एण्ड वाच के अंदाज में 6 मई के बाद बताएंगे.