भोपाल।मध्यप्रदेश में साल 2023 का विधानसभा चुनाव बीते चुनावों की अपेक्षा अलग नजर आने वाला है. इस चुनाव में अब जातिवादी सियासत हावी होती नजर आ रही है. एमपी में कई जातिवादी संगठन हैं जो चुनाव प्रभावित करने के लिए कमर कस चुके हैं. कुछ संगठन तो ऐसे भी हैं जो 2023 का चुनाव बड़े दम-खम के साथ लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें से ज्यादातर संगठन दलित और आदिवासी समाज से जुड़े हैं. विधानसभा चुनाव होने को महज कुछ महीने ही बचे हैं. आदिवासी नेता पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया को झाबुआ विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए विक्रांत ने अपने इलाके में सियासी तैयारी शुरू कर दी है.
बांध, भ्रष्टाचार और नल-जल का उठाया मुद्दा: कुछ दिन पहले विक्रांत भूरिया ने पीएचई विभाग के अधिकारियों के खिलाफ धमकी दी और कहा कि, इस योजना में कोई अड़ंगा लगाए तो ऑफिस में घुसकर कॉलर पकड़कर बाहर निकाल देंगे. विक्रांत भूरिया ने यह भी कहा था अब हाथ नहीं जोड़ेंगे. काम नहीं किया तो तमाचा मार देंगे. दरअसल पेटलावद विधानसभा के पारा गांव और उसके आसपास की पंचायतों में कांग्रेस ने 3 साल से ठप पड़ी नल-जल योजना को लेकर धरना प्रदर्शन किया था. इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया भी शामिल हुए थे.