भोपाल।तो एमपी के इतिहास में एक साथ दो चुनाव लड़ने वाले मुख्यमंत्री थे शिवराज.....2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज एक साथ दो नावों की सवारी कर रहे थे. हर तरफ यही सवाल था कि आखिर शिवराज को बुधनी के साथ विदिशा से चुनाव लड़ने की जरुरत क्यों पड़ी. वजह ये कि मध्यप्रदेश की बाकी 228 सीटों पर भी भाजपा की तरफ से नाम के ही उम्मीदवार थे. चुनाव तो शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही लड़ा जा रहा था. असल में विदिशा भाजपा का ऐसा गढ़ मानी जाती है कि जिसने न सिर्फ भाजपा को मजबूत जमीन दी. बल्कि भाजपा के दिग्गज नेताओं को भी ये सीट समय समय पर पनाह देती रही.
विदिशा राजनीति का अहम पड़ाव: भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुषमा स्वराज जैसे दिग्गजों की राजनीति में ये विदिशा अहम पड़ाव की तरह सामने आती रही. 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले तक बीजेपी के मामले में विदिशा की दिशा कभी नहीं भटकी. इस चुनाव में 46 साल बाद कांग्रेस ने बीजेपी से ये सीट छीन ली थी. खैर....फिर मुद्दे पर आते हैं सीएम शिवराज ने विदिशा और बुधनी से एक साथ चुनाव क्यों लड़ा. असल में 2008 के चुनाव में राघवजी इस सीट से चुनाव जीतते हैं. लेकिन 2013 के चुनाव में राघव जी के विवादों में घिर जाने के बाद उनका टिकट कट जाता है.