भोपाल। राजनीति में कई बार एक्शन का रिएक्शन इतनी देरी से आता है कि अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि ये झटका आया कहां से है. एमपी के बीजेपी प्रदेश प्रभारी रहे मुरलीधर राव का बयान सामने आया है कि "हमारी एक जेब में ब्राह्मण है तो दूसरी जेब में बनिया है. आप भूल चुके होंगे, लेकिन लगता है ब्राह्मणों के दिमाग से ये बयान इतनी जल्दी डिलीट नहीं हो पाया. कभी ब्राह्मण-बनियो की कही जाने वाली बीजेपी के लिए इस बार एमपी के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण ही चुनौती बनने की तैयारी में आ रहे हैं.
बीजेपी से क्यों खफा हैं पंडित जी:ब्राह्मण समाज एमपी के 52 जिलों में सभाएं करते हुए ब्राह्मणों के बीच जाएगा और बीजेपी को हराने के लिए माहौल बनाएगा. खास तौर पर बीजेपी के खिलाफ ये अपील ब्राह्मण बाहुल्य विंध्य के बाद ग्वालियर चंबल में होगी. बाकी ब्राह्मण अपने तेवर सीधी पेशाब कांड में प्रवेश शुक्ला के परिवार के धन जुटाने से लेकर अदालती लड़ाई तक दिखा चुके हैं. अखिल भारत ब्राह्मण समाज मध्यप्रदेश की 56 ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा सीटों के जरिए अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है. समाज का भरोसा है कि 56 सीटों का जनादेश ही एमपी में सत्ता किसके हाथ जाएगी ये तय करेगा. समाज का आरोप है कि एमपी में शिवराज सरकार में ही सबसे ज्यादा ब्राह्मणों पर अत्याचार बढ़े हैं. ब्राह्मणों की कहीं सुनवाई नहीं है. अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेन्द्र मिश्रा कहते हैं "सीधी मामले में सरकार ने कितनी सख्ती से कार्रवाई की. हम भी मानते हैं कि वो घटना निंदा करने योग्य थी, एक्शन होना चाहिए. लेकिन क्या सिर्फ ब्राह्मण ही निशाने पर रहेंगे. बाकी जगह क्यों एक्शन नहीं लिया जाता. मिश्रा का आरोप है कि बीजेपी की सरकार के दौर में ही एमपी में ब्राह्मणों पर बहुत ज्यादा अत्याचार बढ़े हैं."
ब्राह्मणों को जो वचन दिया वो अधूरा:ब्राह्मण समाज इस बात से नाराज है कि बीजेपी की सरकार में उसके साथ हमेशा छलावा ही हुआ. पुष्पेंद्र मिश्रा कहते हैं "सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ब्राह्मण समाज की 11 सूत्रीय मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. ब्राह्मण आयोग बनाएंगे ये वादा किया था, कुछ नहीं हुआ. ब्राह्मण ही तो बीजेपी के उम्मीदवारों को जिताता है, विधानसभा पहुंचाता है, लेकिन जीत जाने के बाद ये भूल जाते हैं. इसलिए ब्राह्मण समाज अब इन्हें सबक सिखाएगा. सीएम शिवराज केवल घोषणा वीर हैं, इसलिए वे केवल घोषणाएं करते हैं, ब्राह्मणों की उनकी चिंता भी घोषणाओं पर आकर खत्म हो गई."