भोपाल। 2023 के विधानसभा चुनाव के प्रचार में एमपी में एक्शन, रोमांच और सस्पेंस सब नजर आएगा. किसी फिल्मी स्क्रिप्ट की तरह इस चुनाव में पार्टियां पब्लिसिटी कैंपेन तैयार कर रही हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस बार अपनी खूबियों से ज्यादा दूसरे की खामियों के प्रचार पर काम हो रहा है. कमलनाथ की तस्वीरें बीजेपी सहेजे हुए है और बीजेपी सरकार की ओर से गिनाई जा रही उपलब्धियों का डाटा कांग्रेस जुटा रही है. खास बात ये है कि नो स्टोन अनर्टन्ड के मोड में चल रही बीजेपी ने चुनाव के काफी पहले एमपी के रण में पीएम मोदी की भी एंट्री करा दी है.
दिग्विजय बंटाधार के बाद अब कमलनाथ गद्दार:2003 के विधानसभा चुनाव के बाद से बीजेपी ने केवल दिग्विजय सिंह को टारगेट किया था. बीजेपी के कैंपेन में कांग्रेस की नाकामी और बीजेपी की उपलब्धियां का अंतर गिनाया जाता रहा. लेकिन बीजेपी ने तीन पारियां दिग्विजय सिंह को बंटाधार कहकर ही मजबूत कर ली थी. दिग्विजय सिंह शासनकाल की इस तरह दहशत दिखाई गई कि जनता ने 2013 तक बीजेपी को ही जिताया. लेकिन दिग्विजय सिंह का जिस तरह का नेगेटिव कैंपेन बीजेपी ने चलाया उसका नतीजा ये हुआ कि खुद दिग्विजय सिंह ने 2018 के विधानसभा चुनाव में ये मंजूर कर लिया कि अगर वे फ्रंट पर आते हैं तो कांग्रेस के वोट कट सकते हैं.
सोशल मीडिया पर कैम्पेन:कमोबेश इसी रणनीति के साथ बीजेपी अब कमलनाथ को टारगेट कर रही है. सोशल मीडिया पर स्कैनर के साथ पूरा कैंपेन चलाया जा रहा है और इस के पोस्टर भी लगाए जा रहे हैं. इस कैम्पेन में कमलनाथ के केन्द्र सरकार में रहते हुए मुद्दों को उठाया गया है. मसलन एक पोस्टर में पूछा गया है कि 1974 के पहले परमाणु परीक्षण के बाद दूसरा परीक्षण कराने में क्यों लगे 74 साल. इस साजिश में किस द्रेशदोही का था हाथ.