BJP Plans For MP Elections: बीजेपी में क्या भरोसे का संकट! सर्वे से लेकर टिकट तक सब 'बाहरी' तय करेंगे, चुनावी साल में पार्टी की बड़ी प्लानिंग - बीजेपी विधायक करेंगे एमपी में सीटों का सर्वे
BJP Plans For Assembly Elections: मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर भाजपा संगठन बीजेपी की प्रदेश इकाई के भरोसे कुछ छोड़ना ही नहीं चाहती. यही वजह है कि सर्वे से लेकर टिकट तक सब 'बाहरी' तय करेंगे. यूपी, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के चुनावी जीत की रणनीति में माहिर माने वाले विधायकों को मध्य प्रदेश की कमजोर सीटों पर सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
बीजेपी में भरोसे का संकट
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Published : Aug 17, 2023, 12:28 PM IST
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Updated : Aug 17, 2023, 12:43 PM IST
भोपाल। एमपी में बीजेपी भरोसे के संकट से गुजर रही है. कुशाभाऊ ठाकरे की सींची और खड़ी की गई बीजेपी में ऐसा कब हुआ कि केन्द्रीय नेतृत्व को कमान अपने हाथ में लेनी पड़ी हो. विपरीत परिस्थितियों में 2003 में पार्टी की जीत और उसके बाद लगातार सत्ता में बने रहने का रिकार्ड दे चुकी बीजेपी में तो संगठन से सरकार तक फ्री हैंड का जलवा था. क्या वजह हुई कि अब पार्टी में उम्मीदवारों के सर्वे से लेकर टिकट के बंटवारे तक की जिम्मेदारी एमपी संगठन के बजाए यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र के विधायक संभाले हैं.
यूपी, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के विधायक करेंगे सर्वे
महाराज और शिवराज में बंटी बीजेपी के साइडइफेक्ट !पहले ट्रेनिंग फिर....फिर सात दिन बुंदेलखंड, मालवा निमाड़, प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में सर्वे और फिर इसी सर्वे के आधार पर भावी उम्मीदवारों की पैनल. बीते दस साल में ऐसा मौका कब आया पहले कभी कि प्रदेश कार्यसमिति के लिए पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह प्रदेश कार्यसमिति की बैठक लें और सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करवाएं. क्या ये नाराज महाराज और शिवराज में बंटी बीजेपी के साइडइफेक्ट हैं.
भरोसे का ऐसा संकट, सर्वे भी बाहरी...मुहर भी:एमपी के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से जुटने वाली बीजेपी में चुनाव के दौरान बाहरी राज्यों के नेताओं की एंट्री संगठन के प्रभारी के तौर पर होती है या फिर स्टार प्रचारक के तौर पर होती रही है. लेकिन इस बार तो ये सीन बन रहा है कि जैसे बीजेपी की प्रदेश इकाई के भरोसे कुछ छोड़ना ही नहीं चाहती पार्टी. पहले तो केन्द्रीय मंत्री अमित शाह का भोपाल आकर बीजेपी के रुठे छूटों की क्लास लगाना और अब यूपी, महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात के विधायकों की एमपी में ड्यूटी. खास बात ये है कि ये विधायक केवल बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने एमपी के दौरे पर नहीं आएंगे. इन्हें ट्रेनिंग देकर बुदेलखंड से लेकर मालवा निमाड़ के इलाके में सर्वे के लिए भेजा जा रहा है.
विधायकों के सर्वे पर ही लगेगी मुहर: बुंदेलखंड इलाके में सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह तीन दिग्गज मंत्री तीन दिशाओं की तरह हैं. इन तीनों के अपने अपने आका भी हैं पार्टी में. अमूमन पार्टी के दिग्गज नेताओं की अनुशंसा भी सर्वे में काम आती है. लेकिन इस बार बुंदेलखंड में यूपी से आए विधायकों के सर्वे पर ही मुहर लगेगी. कमोबेश यही सीन मालवा निमाड़ में गुजरात के विधायकों के साथ बनेगा. जो हारी हुई सीटों के साथ कमजोर सीटों पर सर्वे करेंगे. यानि यहां भी कैलाश विजयवर्गीय की कृपा जाती रहेगी.
बीजेपी में भरोसे का संकट
पहले क्लास लगेगी फिर काम शुरु होगा:जानकारी के मुताबिक, गुजरात, यूपी समेत महाराष्ट्र और बिहार से भी चुनाव में एमपी में आ रहे इन बीजेपी विधायकों की पहले क्लास होगी, यानि उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद ही अलग अलग इलाकों में अलग अलग तारीखों पर उम्मीदवारों के लिए सर्वे शुरु होगा. बुंदेलखंड में यूपी से आठ विधायक आ रहे हैं जो सात दिन बुंदेलखंड में ही डेरा डालेंगे. 20 से 27 अगस्त के बीच बुंदेलखंड में यूपी के विधायक सर्वे करेंगे. इसी तरह मालवा निमाड़ की आठ सीटों की जवाबदारी मालवा से सटे गुजरात जिले के विधायकों को सौंपी गई है. वैसे अभी तक मालवा में तो कैलाश विजयवर्गीय की मुहर ही मानी जाती थी.
पार्टी का लक्ष्य हर विधानसभा में बीजेपी की जीत:बीते कई चुनाव में संगठन में अहम भूमिका में रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता दीपक विजयवर्गीय से जब इस संबंध में ईटीवी भारत ने बात की तो उनका कहना था कि ''ये पार्टी की पुरानी परंपरा है. असल में बाहर से विधायक आएंगे तो जो अनुभवी चुनाव लड़ाने वाले हैं, हर विधानसभा में पहुंच जाएं ये पार्टी का लक्ष्य है. फोकस ये है कि 230 विधानसभा सीटों पर जीतने वाली रणनीति पर काम शुरु हो. दूसरी बात ये है कि कई बार उम्मीदवार चयन में स्थानीय चुनाव लड़ाने वाले किसी मामले में पक्षपात की भी संभावना न रहे. लेकिन जो बाहर से आएगा जाहिर तौर पर वो तटस्थ होगा. ये पहली बार नहीं है, बीजेपी में जब भी चुनाव होते हैं आस पास के राज्यों से नेता आते भी हैं और मध्यप्रदेश के भी चुनाव के अनुभवी नेताओं की ड्यूटी पश्चिम बंगाल, यूपी, महाराष्ट्र गुजरात में लगती रहती है.''