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Bhopal Uttar Seat: भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा मजबूरी या जरुरी, क्या कांग्रेस के 25 साल के सफर पर बीजेपी लगा पाएगी विराम - भोपाल उत्तर सीट कांग्रेस का गढ़

बीजेपी ने जब से अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है, तब से प्रदेश में सियासी हलचल देखने मिल रही है. सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी की है, तो वह भोपाल उत्तर सीट की है. इस सीट पर 25 सालों से कांग्रेस का कब्जा है. बीजेपी ने आलोक शर्मा को आरिफ अकील के सामने उतारा है. वहीं टिकट मिलने के बाद आलोक शर्मा महाकाल के दर पर मत्था टेकने पहुंचे.

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महाकाल की शरण में आलोक शर्मा

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Published : Aug 18, 2023, 7:43 PM IST

भोपाल/ उज्जैन। जिन 39 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें बीजेपी के सामने सबसे बड़ा प्रश्न है उत्तर विधानसभा सीट. बीते 25 साल से ये सीट बीजेपी के लिए इतना बड़ा सवाल बन चुकी है कि बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल सीटों में शुमार है. लेकिन सवाल ये है कि क्या आलोक शर्मा उत्तर से बीजेपी का इतना मजबूत जवाब बन पाएंगे कि इस सीट की सियासी तासीर बदल दें. इसी सीट से पहले हार का मूंह देख चुके शर्मा उत्तर सीट से बीजेपी के लिए जरुरी हैं या मजबूरी... इस संकट वाली सीट पर जीत हो इसलिए नाम के एलान के साथ ही आलोक शर्मा महाकाल दर्शन को पहुंचे.

उत्तर भोपाल क्या टूटेगा 25 बरस का वनवास: उत्तर भोपाल सीट एमपी की उन चुनिंदा कांग्रेस सीटों में गिनी जाती है. शिवराज से लेकर मोदी तक की आंधी में जो बेअसर रही और कांग्रेस का हाथ थामें खड़ी रही. उत्तर भोपाल में बीजेपी अब तक कई प्रयोग कर चुकी है, लेकिन आरिफ अकील ने यहां ऐसा अंगद का पैर जमाया कि हर प्रयोग बिफल रहा. दो लाख 37 हजार से ज्यादा वोटर वाली इस सीट पर यूं बीजेपी और कांग्रेस बारी-बारी से जीतती रही हैं, लेकिन बीते 25 साल से तो एक मुश्त इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. 1998 में आरिफ अकील की जीत का जो सफर तय हुआ तो 2018 तक वो बदस्तूर जारी है. देश की ये उन चुनिंदा विधानसभाओं में से भी है, जहां किन्नर वोटर का भी बहुतायात है. इस सीट पर हिंदू मुस्लिम दोनों ही आबादी है और ये ही निर्णायक वोटर भी. आलोक शर्मा की छवि हिंदूवादी नेता की है. ब्राह्मण समाज के नेता भी हैं. तो क्या उसी धार के साथ शर्मा इस चुनाव में उतरेंगे.

नंदी जी के कानों में प्रार्थना करते आलोक शर्मा

भोपाल उत्तर सीट बीजेपी और संघ के लिए चिंता का विषय: वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं "भाजपा द्वारा घोषित पहली सूची में राजधानी भोपाल से दो प्रत्याशियों के नाम तय किए गए हैं. भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा और मध्य से धुव्र नारायण सिंह. उत्तर भोपाल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है, 1993 के बाद भारतीय जनता पार्टी यहां कभी नहीं जीती. इस सीट से भाजपा ने अपने पुराने नेता आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी के पास आलोक शर्मा के रूप में एकमात्र विकल्प है, जो कांग्रेस को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं. देवलिया का कहना है कि उत्तर की इस सीट पर लंबे समय से मुस्लिम विधायक निर्वाचित ही रहा है. यह संघ और भाजपा के लिए बड़ी चिंता का विषय भी है."

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शिवराज का साथ सबसे बड़ी ताकत: बयानों में हमेशा मुखर रहने वाले आलोक शर्मा की सबसे बड़ी सियासी ताकत ये है कि उन्हें सीएम शिवराज का वरदहस्त मिला हुआ है. ये ताकत उन्हें उम्मीदवारी तक तो पहुंचा सकती है, लेकिन चुनौती है कि कांग्रेस के इस गढ़ में बीजेपी सेंध लगा पाए. हालांकि आलोक शर्मा बीते लंबे समय से इस इलाके में चुनावी तैयारियों में जुटे हुए थे. सामाजिक आयोजनों के साथ लगातार क्षेत्र के हिंदू वोटर के बीच पैठ बनाने का आलोक शर्मा ने कोई मौका नहीं छोड़ा. जिस समय वो भोपाल के मेयर चुने गए, उस समय भी उन्होंने अपने विकास कार्यों के साथ गतिविधियों की दिशा भी उत्तर भोपाल की सीट पर ही रखी. दूसरी वजह 2008 के विधानसभा चुनाव में हार का अंतर भी रहा. उस समय आलोक शर्मा करीब चार हजार वोट के अंतर से ये चुनाव हारे थे. उसके बाद के दो विधानसभा चुनाव में पार्टी ने आलोक शर्मा के नाम पर गौर नहीं किया, लेकिन वो इस विधानसभा क्षेत्र को अपनी सियासी जमीन मानते हुए तैयारी करते रहे.

आलोक शर्मा बोले-कांग्रेस ने दिया मजहबी रंग: बीजेपी के उत्तर भोपाल सीट से उम्मीदवार आलोक शर्मा ईटीवी भारत से कहते हैं "पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया है. उस पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा. मेरा लक्ष्य है कि उत्तर भोपाल में इस बार विकास के मुद्दे पर चुनाव हो. अब तक इस क्षेत्र में दलगत चुनाव नहीं हुआ. कांग्रेस ने इसे मजहबी रंग दिया. हर बार ये इलाका मेरी जन्मभूमि है. मैं यहां पला बढ़ा हूं, यहीं से दो बार पार्षद भी रहा. मेरे लिए वो क्षेत्र नहीं मेरी जन्मभूमि है. मैंने उस क्षेत्र में लगातार विकास के कार्य किए हैं. पिछले चुनाव में भी बहुत कम अंतर से चुनाव हारा था. मुझे विश्वास है कि जनता मुझे आर्शीवाद देगी.

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