भोपाल/ उज्जैन। जिन 39 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें बीजेपी के सामने सबसे बड़ा प्रश्न है उत्तर विधानसभा सीट. बीते 25 साल से ये सीट बीजेपी के लिए इतना बड़ा सवाल बन चुकी है कि बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल सीटों में शुमार है. लेकिन सवाल ये है कि क्या आलोक शर्मा उत्तर से बीजेपी का इतना मजबूत जवाब बन पाएंगे कि इस सीट की सियासी तासीर बदल दें. इसी सीट से पहले हार का मूंह देख चुके शर्मा उत्तर सीट से बीजेपी के लिए जरुरी हैं या मजबूरी... इस संकट वाली सीट पर जीत हो इसलिए नाम के एलान के साथ ही आलोक शर्मा महाकाल दर्शन को पहुंचे.
उत्तर भोपाल क्या टूटेगा 25 बरस का वनवास: उत्तर भोपाल सीट एमपी की उन चुनिंदा कांग्रेस सीटों में गिनी जाती है. शिवराज से लेकर मोदी तक की आंधी में जो बेअसर रही और कांग्रेस का हाथ थामें खड़ी रही. उत्तर भोपाल में बीजेपी अब तक कई प्रयोग कर चुकी है, लेकिन आरिफ अकील ने यहां ऐसा अंगद का पैर जमाया कि हर प्रयोग बिफल रहा. दो लाख 37 हजार से ज्यादा वोटर वाली इस सीट पर यूं बीजेपी और कांग्रेस बारी-बारी से जीतती रही हैं, लेकिन बीते 25 साल से तो एक मुश्त इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. 1998 में आरिफ अकील की जीत का जो सफर तय हुआ तो 2018 तक वो बदस्तूर जारी है. देश की ये उन चुनिंदा विधानसभाओं में से भी है, जहां किन्नर वोटर का भी बहुतायात है. इस सीट पर हिंदू मुस्लिम दोनों ही आबादी है और ये ही निर्णायक वोटर भी. आलोक शर्मा की छवि हिंदूवादी नेता की है. ब्राह्मण समाज के नेता भी हैं. तो क्या उसी धार के साथ शर्मा इस चुनाव में उतरेंगे.
भोपाल उत्तर सीट बीजेपी और संघ के लिए चिंता का विषय: वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं "भाजपा द्वारा घोषित पहली सूची में राजधानी भोपाल से दो प्रत्याशियों के नाम तय किए गए हैं. भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा और मध्य से धुव्र नारायण सिंह. उत्तर भोपाल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है, 1993 के बाद भारतीय जनता पार्टी यहां कभी नहीं जीती. इस सीट से भाजपा ने अपने पुराने नेता आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी के पास आलोक शर्मा के रूप में एकमात्र विकल्प है, जो कांग्रेस को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं. देवलिया का कहना है कि उत्तर की इस सीट पर लंबे समय से मुस्लिम विधायक निर्वाचित ही रहा है. यह संघ और भाजपा के लिए बड़ी चिंता का विषय भी है."