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MP Assembly Budget Session 2023: विधानसभा में संविधान हुआ तार तार, एक ने फेंकी कॉपी दूसरे ने फाड़ी

मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के दौरान संविधान की कॉपी फेंकने और फाड़ने का चलन चल रहा है. पक्ष और विपक्ष दोनों संविधान का मजाक बना रहे हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है.

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Published : Mar 3, 2023, 7:50 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस समय विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. वैसे तो जनप्रतिनिधि अपने भाषणों में बाबा अंबेडकर सहित संविधान को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश की विधानसभा में बाबा साहब अंबेडकर के संविधान की किताब का जमकर मखौल उड़ा. संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्र ने संविधान की किताब को फेंका तो वही कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने किताब को फाड़कर फेंक दिया. इन घटनाओं को लेकर दोनों पक्षों पर विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई.

संविधान की किताब के साथ मजाक: सदन में पहले तो संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने हाथ में किताब ले रखी थी, लेकिन बहस के दौरान उनसे किताब छूट गई. किताब छूटने के बाद विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. आरोप लगाया कि नरोत्तम मिश्रा को भी आप निलंबित कीजिए, क्योंकि उन्होंने संविधान का अपमान किया है. सदन में काफी देर तक इस बात को लेकर हंगामा होता रहा. विपक्ष लगातार नारेबाजी करता रहा, जिसके चलते 40 मिनिट के लिए कार्यवाही को रोकना पड़ा. जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस विधायक संसदीय कार्यमंत्री के निलंबन को लेकर फिर हंगामा करने लगे. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने संविधान की किताब को आसंदी के सामने खड़े होकर फाड़ दिया. कागज के टुकड़ों को आसंदी के सामने प्रमुख सचिव और रिपोर्टर की टेबल पर फेंके.

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नेता प्रतिपक्ष ने विशेषाधिकार हनन की मांग की: संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के संविधान की किताब फेंके जाने पर कांग्रेस विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस विधानसभा सचिवालय को सौंपा है. इस पर विधानसभा अध्यक्ष फैसला लेंगे. संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लगा कि मामला तूल पकड़ रहा है और कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाएगी. उन्होंने फौरन ही विधानसभा में इस मामले पर खेद व्यक्त कर लिया. सदन में हंगामे के बीच प्रश्नकाल नहीं हो सका और बाकी कार्यसूची पर भी काम नहीं हो सका. वहीं सज्जन वर्मा द्वारा किताब फाड़े जाने के मामले ने उतना तूल नहीं पकड़ा.

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