चुनावी साल में सरकार की उम्मीदों पर पानी फेरेंगी आशा, अल्टीमेटम के बाद होगी आर-पार की लड़ाई
जिस समय शिवराज सरकार लाडली बहनों को एक हजार रुपए की सौगात देकर ये मान रही है कि पांचवी पारी का ट्रम्प कार्ड खेला जा चुका है. तब प्रदेश की आशा उषा कार्यकर्ता चुनावी साल में आर-पार की लड़ाई के साथ मोर्चा खोलने की तैयारी कर चुकी हैं.
एमपी आशा उषा कार्यकर्ता हड़ताल
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Published : Apr 6, 2023, 11:05 PM IST
एमपी आशा उषा कार्यकर्ता हड़ताल
भोपाल।चुनावी साल में प्रदेश की आशा-उषा कार्यकर्ता आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुटी हैं. अप्रैल महीने में जिला स्तर पर आंदोलन कर रहीं आशा कार्यकर्ताओं ने 21 अप्रैल तक का अल्टीमेटम सरकार को दिया है. इसके बाद भोपाल में हल्ला बोल होगा और सीएम हाउस का घेराव किया जाएगा. हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना में लाडली बहनों को संबोधित करते हुए ऐलान कर दिया है कि आशा कार्यकर्ताओं को भी लाडली बहना योजना का लाभ मिलेगा.
हम भी बहनें हैं :प्रदेश में लगभग 84 हजार आशा कार्यकर्ता हैं. ये गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने के साथ सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों की धुरी हैं. आशा कार्यकर्ता फिलहाल पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर आंदोलन छेड़ चुकी हैं. सिर्फ एक मांग के साथ उनका वेतन 10 हजार और आशा सहयोनिगियों को 15 हजार वेतन दिया जाए. आशा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मी कौरव कहती हैं कि, आशा कार्यकर्ता को 2 हजार रुपए दिए जा रहे हैं. जो केन्द्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं.
स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ आशा कार्यकर्ता:लक्ष्मी कौरव का कहना है कि, मध्यप्रदेश सरकार कह रही है कि आशा कार्यकर्ताओं के कामों की राशि का भुगतान दोगुना किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. जबकि दूसरे राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं को सरकारें अतिरिक्त वेतन दे रही है, पर मध्यप्रदेश मे ऐसा नहीं है. अब सवाल ये है कि जब सरकार सामान्य महिलाओं को बिना काम के हजार रुपए मासिक सौगात दे सकती है, काम करने वालीं आशा कार्यकर्ताओं के पैसे सरकार क्यों नहीं बढ़ा रही है.
एमपी आशा उषा कार्यकर्ता हड़ताल
अल्टीमेटम के बाद होगा घेराव: मध्यप्रेदश में आशा सहयोगिनी संघ की प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मी कौरव बताती हैं कि 22 दिन से पूरे प्रदेश में आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल चल रही है. ये क्रमिक आंदोलन अभी और आगे बढ़ेगा. हमने 21 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है. इसके बाद भी अगर सुनवाई नहीं हुई तो आशा कार्यकर्ता सीएम हाउस का घेराव करेंगी. लक्ष्मी कहती हैं कि ये चुनावी साल है. हर आशा कार्यकर्ता के परिवार में 4 वोट हैं. दूसरी तरफ गांव-गांव में हमारी पकड़ है. परिवारों से सीधा संपर्क है. हम राजनीति नहीं चाहते पर सरकार सुनवाई करे. बजट में उम्मीद थी कि आशाओं के लिए पूर्ण वेतन वृद्धि का प्रावधान होगा, लेकिन नहीं हुआ.
किस राज्य में कितना वेतन :आशा कार्यकर्ताओं को मध्यप्रदेश में दिया जाने वाला वेतनमान सबसे कम है. आंध्र प्रदेश में सरकार आशा कार्यकर्ताओं को अपनी ओर से 8 हजार मिलाकर 10 हजार रुपए देती है. 2 हजार केन्द्र की ओर से आते हैं. इसी तरह तेलंगाना सरकार अपनी ओर से 7500 मिलाकर 9500 रुपए देती है. केरल में सरकार 7 हजार रुपए अपनी ओर से मिलाकर 9 हजार रुपए देती है. महाराष्ट्र में आशा कार्यकर्ता को 9000 रुपए और आशा सहयोगिनियों को 14 हजार 9 सौ रुपए मिलता है.