भोपाल। जनता के पैसों और उसके भरे टैक्स के साथ माननीय क्या सुलूक करते हैं, इसकी एक बानगी बुधवार को राजधानी में हबीबगंज अंडर ब्रिज के उद्घाटन के दौरान देखने को मिली. यहां भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर को उखाड़ फेंकने का निर्णय लिया गया. इस बीआरटीएस कॉरिडोर पर 2009 से अभी तक 450 करोड रुपए खर्च हो चुके हैं. 24 किलोमीटर के इस कॉरिडोर के निर्माण के समय कई दुर्घटनाएं हुईं. हजारों पेड़ों को काटा गया. इसके निर्माण से पहले आने वाले 10 साल में कितना ट्रैफिक बढ़ेगा, इस पर विचार नहीं किया गया. ये बहुत गंभीर व बड़ा सवाल है.
अब तक 450 करोड़ रुपए खर्च :भोपाल के 24 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस कॉरिडोर पर अब तक 450 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. 10 सालों में विभिन्न एजेंसियों के जरिए 203 करोड़ के आसपास मेंटेनेंस पर खर्च कर दिया. बीआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण के समय लागत एक किमी पर 12 करोड़ आई थी. लालघाटी ओवरब्रिज के निर्माण के लिए 500 मीटर कॉरिडोर तोड़ा गया. तोड़ने की लागत 6 करोड़ और फिर मेंटेनेंस पर एक करोड़ खर्च हुए थे. इसी तरह वीर सावरकर सेतु से बोर्ड आफिस चौराहे तक 3.6 किमी कॉरिडोर मेट्रो प्रोजेक्ट और पीडब्ल्यूडी के फ्लाइओवर ब्रिज प्रोजेक्ट के कारण खत्म ही गया.
नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने की घोषणा :बुधवार को अंडर ब्रिज के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि की शहर की सड़कों पर फैला बीआरटीएस कॉरिडोर का जाल आम जनता के लिए परेशानी पैदा कर रहा है. इन कॉरिडोर को हटाएंगे. जब तक इसे हटाने का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक के लिए बहुत भीड़भाड़ व जरूरत वाले क्षेत्रों में इसे पांच-पांच घंटे के लिए खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि भोपाल व इंदौर की सड़कों से कॉरिडोर हटाने की मांग समय-समय पर उठती रही है. कांग्रेस के कार्यकाल में नगरी प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी बीआरटीएस कॉरिडोर की उपयोगिता के बारे में अधिकारियों से जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था, परंतु उसके बाद उस विषय पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई.
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी मिला समर्थन :अंडरब्रिज उद्घाटन के मौके पर भोपाल के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह के अलावा गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर ने सबसे पहले बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने की मांग की थी. नगरीय विकास एवं आवास मंत्री को उन्होंने बताया कि शहर की सड़कों पर शाम के समय दबाव बढ़ जाता है. जाम लगता है और लोग फंस जाते हैं. दिनभर काम करने वाले लोगों को घर पहुंचने में देरी होती है. जो लोग बाजार के लिए निकलते हैं, उन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने मंत्री को आवेदन भी दिया है.