भोपाल।एम्स भोपाल और एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण से स्वास्थ्य खतरों पर सहयोगी अनुसंधान कार्य करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. यह देश में पहला अवसर है जहां एमपीपीसीबी जैसी नियामक संस्था ने मानव कल्याण पर पर्यावरणीयकारकों के दीर्घकालिक प्रभाव पर साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए एक चिकित्सा संस्थान के साथ हाथ मिलाया है. इस अवसर पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवश्यक विशेषज्ञता प्रदान करने में पूर्ण सहयोग देने का वादा किया. उन्होंने इस विषय पर अभिनव पाठ्यक्रम शुरू करने की संभावनाओं के बारे में भी बताया.
एनवायरनमेंट पर होगा अध्ययन: वहीं परिसर में प्रयोगशाला सुविधाओं का लाभ उठाने और महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों को सूचित करने के लिए अग्रणी साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए स्वागत किया. शुरुआत करने के लिए, एम्स भोपाल के शोधकर्ता सिंगरौली जिले की आबादी में वायुजनित फ्लाई ऐश कणों के संभावित स्वास्थ्य प्रभावों पर एक क्षेत्र-आधारित पायलट अध्ययन करेंगे, जो देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता सूचकांकों में से एक है. एम्स भोपाल और एमपीपीसीबी के बीच इस सहयोग से पर्यावरण प्रदूषकों के स्वास्थ्य प्रभावों में नई अंतर्दृष्टि उत्पन्न होने और स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत निर्णय लेने की उम्मीद है. एम्स भोपाल मे 13 और 14 मई, आईओए- बाल चिकित्सा ऑर्थो ट्रॉमा सीएमई और पोंसेटी कास्टिंग तकनीक कार्यशाला आयोजित की जाएगी.