भोपाल।विधासनभा में अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा में सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच जमकर नोकझोंक चल रही है. नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार ने खुद के विधायकों को 15- 15 करोड़ रुपये मेगा प्रोजेक्ट के लिए स्वीकार किए तो कांग्रेस के विधायकों को राशि नहीं दी जाती. पट्टिका में कांग्रेस के वर्तमान विधायकों का नाम नहीं होता. क्या विपक्ष के लोग अपमान सहने के लिए हैं. यदि आपकी यही संस्कृति है तो करिए. इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोविंद सिंह को टोका और कहा कि ये आपकी जानकारी गलत है.
प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है :गोविंद सिंह ने कहा कि किसानों के बिल ज्यादा आ रहे हैं. बिजली में संविदा और आउटसोर्स को खत्म कर देना चाहिए. बेरोजगारों की संख्या मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 30 लाख है. खासतौर से गांव के किसान के बेटे को नौकरी नहीं मिल पा रही है. स्थिति खराब है. इसको सुधारवा लो. बीएससी व एमएससी वालों को 5 हजार की नौकरी मिल रही है. जनता पर बेहिसाब टैक्स लाद दिए हैं. गोविंद सिंह ने कहा कि किसानों को आप साल में 10 हजार देते हैं लेकिन डीजल महंगा है. यदि हिसाब लगाया जाए तो उसके खेती में इतने पैसे लग जाते हैं कि एक बार की फसल में उसको 3500 ही बच पाते हैं.
MP नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने की सरकार पर आरोपों की बौछार नाम चिरायु है, काम है मरायु :प्रतिपक्ष के नेता डॉ. गोविंद सिंह ने सवाल उठाया कि भोपाल के चिरायु अस्पताल पर सरकार क्यों मेहरबान है. पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा वहां भर्ती थे, उनसे किसी को मिलने नहीं दिया गया. सरकारी अस्पताल हैं, उनको पैसा नहीं मिल रहा. नाम चिरायु है, लेकिन काम मरायु है. सैकड़ों मौतें यहां पर हुईं. गोविंद सिंह ने कहा कि उन किसानों को राहत का पैसा दे दिया गया, जहां पर ओले पड़े ही नहीं. असल में जो किसान थे, जिनकी फसले खराब हुईं, उनको मुआवजा नहीं मिला. मंत्री ने भी स्वीकार किया है कि भ्रष्टाचार हुआ है. जांच का आश्वासन दिया गया है. इस सरकार में भ्रष्टचार चरम पर है.
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नर्सिंग कॉलेजों के नाम पर भ्रष्टाचार :डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज खोल दिए गए. पंजाब, हरियाणा व यूपी के छात्र फर्जी डिग्री लेकर चले गए. नाम के लिए छोटे लोगों पर कार्रवाई हुई. मुख्यमंत्री सत्ता के मद में चूर हो गए हैं. आप न्यायाधीश बन गए हैं. प्रदेश में छोटे लोगों पर करवाई की जाती है. आयुष भवन, अस्पताल तो हैं लेकिन डॉक्टर नहीं, उपकरण नहीं. क्या यही सुशासन है. मनरेगा में भारी भ्रष्टाचार है.