भोपाल: मध्यप्रदेश के मुरैना में 25 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई. कई अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. 4 लोगों की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी है. लेकिन इतनी बड़ी घटना हो गई और मध्यप्रदेश में आजकल माफियाओं-अपराधियों के लिए अपने बयानों के जरिए काल बने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुरैना नहीं पहुंचे, घटना के एक हफ्ते बीतने के बाद भी सीएम शिवराज ने मुरैना ना पहुंचकर मृतकों के परिजनों से संवेदना जताना भी जायज नहीं समझा. कितना अच्छा होता अगर शिवराज मुरैना पहुंचकर मृतकों के परिजनों के सामने दुख जताते और वहीं से शराब माफिया को कड़ा संदेश देते कि अगर आज से आपने हमारे मध्यप्रदेश से खिलवाड़ करने की कोशिश की तो आपको गाड़ और लटका दिया जाएगा, लेकिन शिवराज ने ऐसा नहीं किया. मुख्यमंत्री से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर वहां पहुंच गए. चलिए जरा समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर शिवराज मुरैना क्यों नहीं पहुंचे लेकिन सिंधिया और तोमर पहुंच गए.
11 और 12 की दरमियानी रात में मुरैना में जो हुआ वो पूरे देश ने देखा. देसी शराब पीने से एक के बाद एक मौत होती चली गई. 12 की सुबह होते ही पूरे मध्यप्रदेश में ये खबर आग की तरह फैलने लगी सिस्टम समझता उससे पहले ही 11 लोगों ने जान गंवा चुकी थी. धीरे-धीरे शराब के जाम से हुई मौत की जानकारी सियासत में घुलने लगी. आरोप प्रत्यारोप लगने लगे. समय सुबह 10 बज गए थे लेकिन मुख्यमंत्री जी अभी तक न तो सरकारी एजेंसी पर थे न ही सोशल मीडिया पर, शायद वो उज्जैन जाने की तैयारी कर रहे थे..जहां उनका कार्यक्रम था. इस बीच 10 नवंबर को उपचुनाव हार के बाद पूरी तरह सत्ता गंवा देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सतर्क हो गए और ठीक 10 बजकर 52 मिनट पर ट्वीट कर दिया कि गाड़ दूंगा, टांग दूंगा, लटका दूंगा सब दिखावटी व गुमराह करने वाली बातें, कमलनाथ ने मुरैना पर ही नहीं शिवराज को ये भी याद दिला दिया कि आपके राज में उज्जैन में 16 मौत और अब मुरैना में जहरीली शराब से मौत का खेल आपके ही राज में हुआ है.
शायद कमलनाथ के ट्वीट को देखने के बाद बीजेपी की आईटी सेल भी चौकस हो गई और ठीक एक बजकर 20 मिनट पर मुख्यमंत्री का ट्वीट आ गया...शिवराज ने लिखा...डिस्ट्रिक एक्साइज ऑफिसर को सस्पेंड कर दिया गया है. और हम दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे. इसके बाद शिवराज ने बैठकें भी ली और डीएम और एसपी भी हटाए गए. लेकिन सवाल वहीं शिवराज मुरैना क्यों पहुंचे ?
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शिवराज को समझना चाहिए अब ये पहले का मध्यप्रदेश नहीं !
6 जून मध्यप्रदेश के इतिहास का वो काला दिन है जो मंदसौर किसान आंदोलन के नाम से जाना जाता है. जिसे याद करते ही यहां के किसानों की आंखें भर आती हैं. किसान आंदोलन में 6 किसानों की मौत हो गई थी. तब भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे, और सीएम तब भी मंदसौर जाने में हिचकते रहे...उन्होंने मुख्यमंत्री होते हुए भी भोपाल में धरना दे दिया और कुछ दिन बाद मंदसौर पहुंचे थे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि कांग्रेस ने ये मुद्दा शिवराज से छीन लिया था. हालांकि शिवराज तब संभल जरुर गए थे और आगे बढ़े.लेकिन आज वो स्थिति नहीं है. मध्यप्रदेश में आज सियासत बदल चुकी है. भले ही मुख्यमंत्री शिवराज हो लेकिन उनके इर्द-गिर्द अब कई चेहरे हैं जो सिर्फ मौके की तलाश में हैं.