भोपाल। कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट की चिंताओं के बीच मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र (Winter session of MP assembly) 20 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, 4 दिवसीय सत्र के लिए बीजेपी और कांग्रेस के विधायकों ने 1578 सवाल पूछे हैं, लेकिन कोरोना संकट के बाद भी ज्यादातर माननीय ऑनलाइन सवाल पूछने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. विधायकों के 699 सवालों को विधानसभा सचिवालय के पास ऑनलाइन भेजा गया है, जबकि बाकी 879 सवाल ऑफलाइन ही पूछे गए हैं. यह स्थिति तब है जब माननीयों को हाईटेक बनाने के लिए लैपटाॅप तक बांटे गए हैं. इसके अलावा उन्हें कम्प्यूटर ऑपरेटर के लिए अलग भत्ता भी दिया जाता है. फिर भी माननीय हाईटेक बनने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं.
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20 दिसंबर से शुरू होगा शीतकालीन सत्र
विधानसभा का शीतकालीन (Winter session of MP assembly update) सत्र 20 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, विधानसभा का 4 दिवसीय सत्र 24 दिसंबर तक चलेगा. विधानसभा सत्र के लिए माननीयों ने 1578 सवाल पूछे हैं, इसमें से 825 तारांकित और 753 सवाल अतारांकित हैं. अपने क्षेत्र की समस्या सदन में उठाने के लिए 187 विधायकों ने सवाल लगाए हैं. सवाल लगाने वाले विधायकों में से सिर्फ 48 विधायकों ने ही ऑनलाइन सवाल पूछे हैं, जबकि बाकी 139 विधायकों ने लिखकर अपने सवाल विधानसभा सचिवालय को भेजे हैं. देखा जाए तो 1578 सवालों में से सिर्फ 699 सवालों को ही ऑनलाइन विधानसभा सचिवालय को भेजा गया है, जबकि 879 सवालों को विधायकों ने ऑफलाइन (MLAs of MP No Digital Only Physical) ही पूछा है.
50 फीसदी से अधिक माननीय ऑफलाइन पूछे सवाल 50 फीसदी से अधिक माननीय ऑफलाइन पूछे सवाल
इस तरह 50 फीसदी से ज्यादा सवाल ऑफलाइन (50 percent MLAs send questions offline to assembly) ही भेजे गए हैं. यह स्थिति तब है जब कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्राॅन को लेकर चिंता बनी हुई है. यह नया वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है. इसके बाद भी माननीय सवालों को ऑनलाइन भेजने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. मध्यप्रदेश में बुधवार को 20 नए कोरोना मरीज मिले हैं, इसमें से 13 इंदौर और 4 मामले भोपाल में मिले हैं, जबकि 14 मरीज कोरोना संक्रमण को मात देकर घर लौटे हैं. प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या 117 है.
भत्ता के बाद भी डिजिटल नहीं हो रहे माननीय
प्रदेश के विधायक अपना ज्यादातर काम ऑनलाइन कर सकें, इसके लिए विधायकों को कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. प्रदेश के सभी मौजूदा विधायकों को 50-50 हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई थी, ताकि इस राशि से वह लैपटाॅप खरीद सकें और इस पर सभी जरूरी काम निपटा सकें. यह रकम भी माननीयों को तब दी गई थी, जब कोरोना की वजह से राज्य शासन की आर्थिक हालत बेहद गड़बड़ाई हुई थी. इसके अलावा माननीय कम्प्यूटर या लैपटाॅप पर जरूरी कामकाज को ऑनलाइन निपटा सकें, इसके लिए उन्हें अलग से कम्प्यूटर भत्ता भी दिया जाता है. साल 2012 में विधायकों को कम्प्यूटर भत्ते के रूप में 10 हजार रुपए दिए जाते थे, जिसे 2016 में बढ़ाकर 15 हजार रुपए किया जा चुका है.
विधानसभा सचिवालय द्वारा दी जाती है ट्रेनिंग
विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह के मुताबिक विधायकों को कम्प्यूटर पर कामकाज सिखाने के लिए विधानसभा सचिवालय प्रशिक्षण देता है, ताकि वे विधानसभा को ऑनलाइन सवाल भेज सकें और तमाम कामकाज ऑनलाइन ही निपटा सकें. ऑनलाइन सवाल लगाते समय विधायकों को डिजिटल सिग्नेचर बनाकर दिए गए हैं क्योंकि ऑनलाइन सवाल लगाते समय विधायकों को डिजिटल सिग्नेचर करने होते हैं.