भोपाल| आज से मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है. सत्तापक्ष को घेरने के लिए विपक्ष पूरी तरह से तैयार है. 26 जुलाई तक चलने वाले सत्र में 15 बैठकें होंगी. इस दौरान सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं. प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा है कि सभी विधायक और मंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब देने को तैयार हैं.
प्रदेश सरकार के बजट पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का बयान मानसून सत्र के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से 4,362 सवाल लगाए गए हैं. 10 जुलाई को वित्त मंत्री तरुण भनोट वर्ष 2019-20 का बजट प्रस्तुत करेंगे. माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष कानून-व्यवस्था कर्ज माफी और अवैध उत्खनन सहित अन्य मुद्दों पर जमकर हंगामा मच आएगा.
विधायकों ने 204 ध्यानाकर्षण के जरिए विभिन्न मुद्दों को उठाने की सूचना सचिवालय को दी है तो 23 स्थगन प्रस्ताव भी दिए गए हैं. शून्यकाल में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर 47 सूचनाएं अभी तक प्राप्त हुई हैं, जबकि 10 याचिकाएं लगाई जा चुकी हैं. दो दर्जन नए और संशोधन विधेयक भी सत्र के दौरान प्रस्तुत करने की तैयारी सत्ता पक्ष ने की है.
प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. सभी विधायकों को एक साथ एकजुटता के साथ काम करना है. विधानसभा सत्र में विपक्ष के द्वारा जिस भी प्रकार के प्रश्न आएंगे, उसका उत्तर देने के लिए सभी तैयार हैं.
'10 जुलाई को पेश होगा अच्छा बजट'
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि कर्नाटक की बातचीत मध्यप्रदेश में होना ठीक नहीं है, क्योंकि यहां पर सब कुछ ठीक चल रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी बजट पेश होने जा रहा है, जो बेहद अच्छा होगा. बजट 10 जुलाई को आएगा उसके बाद ही इस विषय पर चर्चा करना ठीक होगा. बजट आने के बाद सत्ता पक्ष होने के नाते वे अपना पक्ष रखेंगे और विपक्ष अपना पक्ष रखने का काम करेगा.
'कांग्रेस विधायक दल की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पर कोई बातचीत'
गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर फिलहाल कोई बातचीत नहीं हुई है. नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद को राजनीति का बहुत बड़ा अनुभव है. उन्होंने संजय गांधी, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी के साथ काम किया है. उन्होंने सभी विधायकों को कहा है कि कांग्रेस के साथ एकजुटता के माध्यम से हमें यह लड़ाई लड़ना है. जनता से किए गए हर वादे को निभाना है. यह लड़ाई आम जनता की लड़ाई है और इससे आम जनता की ही मानकर विधानसभा में भी लड़ना है.