modi surname case: अन्य पिछड़ा वर्ग के अपमान को चुनावी मुद्दा बनाएगी बीजेपी, ओबीसी मोर्चा को सौंपी विशेष जिम्मेदारी
बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा मोदी सरनेम के साथ पूरे ओबीसी समाज को अपमानित करने के आरोप को पूरी तरह भुनाने के मूड में है. खास रणनीति के तहत पार्टी का ओबीसी मोर्चा कांग्रेस के खिलाफ इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए इस वर्ग के बीच जाएगा. इसका मकसद एक ही है कि ओबीसी समाज को राहुल के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लामबंद किया जाए ताकि एक बड़ा वोट बैंक कांग्रेस से छिटक जाए.
अपमान को चुनावी मुद्दा बनाएगी बीजेपी
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Published : Apr 4, 2023, 7:34 AM IST
भोपाल।बीजेपी राहुल गांधी पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अपमान के आरोप को चुनावी मुद्दा बनाने की राह पर है. तय की गई रणनीति के मुताबिक, पार्टी के ओबीसी नेताओं को इस मुहिम की कमान सौंपी गई है. जो ओबीसी समाज के बीच ये संदेश लेकर जाएंगे कि राहुल ने केवल मोदी सरनेम ही नहीं बल्कि इस पूरे वर्ग का अपमान किया है. यही वजह है कि ओबीसी वर्ग से ही आने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए राहुल पर सीधा हमला किया था.
ओबीसी मोर्चा को सौंपी जिम्मेदारी
चरणबद्ध रणनीति तय:ओबीसी वर्ग के अपमान के मुद्दे पर बीजेपी लगातार राहुल ही नहीं, कांग्रेस पर भी हमले कर रही है. अब संगठन ने ओबीसी मोर्चा की बैठक बुलाकर इसके लिए चरणबद्ध रणनीति भी तय कर ली. तारीखों का ऐलान कर दिया गया है कि कैसे राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ ये अभियान चलाया जाएगा. मोर्चा की बैठक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा, 'पिछड़ा वर्ग मोर्चा के हर कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि समाज भ्रमित न हो. इसके लिए दृढ़ता के साथ लोगों के बीच जाएं और उन्हें कांग्रेस की हकीकत बताएं. कांग्रेस ने हमेशा पिछड़ा वर्ग को धोखा देने का काम किया है और राहुल गांधी ने इस समाज को सरेआम बदनाम किया है.' मकसद साफ है कि राहुल के खिलाफ ओबीसी वर्ग का गुस्सा फूट पड़े, जिससे आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कमजोर हो और बीजेपी को फायदा मिले.
चौपाल से लेकर महाकुंभ तक की तैयारी
कांग्रेस को कोसने और सरकारी योजनाओं की जानकारी देने का काम: बीजेपी का ओबीसी मोर्चा 1 से 30 मई के बीच जिला और मण्डल स्तर पर सामाजिक सम्मेलन करेगा, जिसमें बताया जाएगा कि राहुल गांधी ने किस तरह ओबीसी जाति का अपमान किया है. इसके साथ ही पिछड़ा वर्ग के हित में केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार की योजनाएं और निर्णय हर बूथ तक पहुंचें, इस बात की तस्दीक भी मोर्चा के कार्यकर्ताओं को करनी होगी. जिस गांव में ओबीसी समाज की संख्या अधिक है, वहां घर-घर सम्पर्क कर पार्टी की रीति-नीति से अवगत कराना होगा. समाज प्रमुखों की चौपाल और बैठकें आयोजित करनी होंगी. ओबीसी युवाओं को पार्टी की विचारधारा से जोड़ना होगा ताकि समाज में पार्टी का आधार बने.
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ओबीसी वोट बैंक पर नजर: ओबीसी वर्ग को अपने पाले में लाने के लिए जो कार्यक्रम तय किए गए हैं, उसके तहत जिन क्षेत्रों में पिछड़ा वर्ग समाज बहुसंख्यक है, वहां जिला एवं विधानसभा स्तर पर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. 5 अप्रैल तक सामाजिक संगठनों को जोड़ने के लिए प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा. 6 अप्रैल को पार्टी के स्थापना दिवस पर जिला स्तर पर जनसंघ से बीजेपी तक पिछड़ा वर्ग के वरिष्ठजनों का सम्मान किया जाएगा. 11 अप्रैल को मंडल स्तर पर महात्मा ज्योतिबा फूले की जयंती एवं जिला स्तर पर प्रबुद्धजनों की संगोष्ठी और सम्मान कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. 15 अप्रैल तक प्रदेश, जिला एवं विधानसभावार ओबीसी समाज के प्रभावशाली प्रमुखों की लिस्ट तैयार की जाएगी. 1 मई से 15 मई तक मण्डल स्तर पर पिछड़ा वर्ग के सामाजिक सम्मेलन एवं 15 से 30 मई तक जिला स्तर पर सामाजिक सम्मेलन आयोजित होंगे. 1 से 30 जुलाई तक सामाजिक सम्मेलन, अगस्त में प्रांतीय सम्मेलन और सितंबर माह में पिछड़ा वर्ग के सभी समाजों का प्रदेशस्तरीय महाकुंभ भोपाल में आयोजित किया जाएगा. इससे जाहिर है कि बीजेपी की नज़र ओबीसी वोटों पर है और पार्टी चुनाव से पहले इस बड़े वोट बैंक को अपने पाले में लाना चाहती है.