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स्कूल की किताबों में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और कल्पना चावला के बारे में छापी गई गलत जानकारी

8वीं और 12वीं कक्षा की किताबों में भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के बारे में गलत जानकारियां छपी हुई हैं. अब स्कूल शिक्षा मंत्री ने इन्हें सुधारने के निर्देश दिए हैं.

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Published : Nov 29, 2019, 8:31 AM IST

Wrong information given in books
किताबों में दी गलत जानकारी

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार कई नवाचारों का दावा कर रही है. शिक्षकों को बेहतर बनाने के लिए भी कई तरह के काम प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं. यहां बच्चों को पढ़ाई जाने वाली किताबों में गलत जानकारियां दी जा रही हैं.

किताबों में दी गई गलत जानकारी

8वीं और 12वीं के छात्रों को जिन पुस्तकों से पढ़ाया जा रहा है, उन किताबों में पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला से संबंधित जानकारियां गलत दी गई हैं. मामला प्रकाश में आने के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभु राम चौधरी ने सुधार के निर्देश दे दिए हैं.

इंग्लिश पुस्तक में कल्पना चावला के बारे में गलत जानकारी

मध्यप्रदेश बोर्ड की 12वीं कक्षा की अंग्रेजी विषय की पुस्तक में अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की जन्मतिथि गलत छापी गई है.

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन परिचय में गलत जानकारी

12वीं कक्षा की सामान्य हिंदी विषय की किताब में भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन परिचय में उनके निधन की तारीख का उल्लेख गलत किया गया है.

ये दी है गलत जानकारी

भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को हुआ था, लेकिन किताब में 1915 में उनका निधन बताया है. वहीं अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई 1961 को हुआ था, लेकिन किताब में 17 मार्च 1962 प्रिंट किया गया है.

गौरतलब है कि सरकारी खर्च पर भी अधिकारियों और शिक्षकों को विदेश में शिक्षा प्रणाली की नई विधियों को समझने के लिए भेजा जा रहा है. इधर दूसरी ओर विदेशी शिक्षा के कई नवाचारों को प्रदेश में लागू करने की तैयारी भी की जा रही है. सरकार का उद्देश्य केवल यही है कि प्रदेश की शिक्षा-व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके, ताकि यहां का हरेक युवा शिक्षित हो सके, लेकिन अगर जमीनी हकीकत की बात करें, तो सच्चाई कुछ और ही है. बच्चों को पढ़ाई जा रही किताबों में गलत जानकारी दी जा रही है.

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