भोपाल।होशंगाबाद और शिवपुरी के बाद अब भोपाल का नाम बदलने की भी मांग उठने लगी है.चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भोपाल का नाम बदलने की मांग की है. उन्होंने कहा कि भोपाल का नाम भोजपाल करने के लिए मैं सरकार को पत्र लिखूंगा. इसको लेकर पहले भी मुहिम शुरू की गई थी. (bhopal new name)
भोपाल को भोजपाल करने की मांग
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि भोपाल का नाम बदलने को लेकर मैंने सरकार से अपील की थी. मैं फिर चाहूंगा कि भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल किया जाए. इसको लेकर मैं पत्र भी लिखने वाला हूं. उन्होंने कहा कि होशंगाबाद अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. वहीं शिवपुरी का नाम कुंडेश्वर धाम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि भले ही कांग्रेस इसे भगवाकरण कहे, लेकिन हम गुलामी से जुड़ी हर चीज मिटा देंगे. (vishwas sarang on bhopal name)
क्या है भोपाल का इतिहास ?
भोपाल की स्थापना परमार राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी. उनके राज्य की राजधानी धार थी, जो अब मध्य प्रदेश का एक जिला है. शहर का पूर्व नाम 'भोजपाल' था जो भोज और पाल के संधि से बना. परमार राजाओं के अस्त के बाद यह शहर कई बार लूट का शिकार बना. परमारों के बाद भोपाल शहर में अफगान सिपाही दोस्त मोहम्मद खान (1708-1740) का शासन रहा. यही कारण है कि भोपाल को नवाबी शहर भी माना जाता है.
MP के तीन स्थानों का नाम बदला: होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम, शिवपुरी को कुंडेश्वर धाम और बाबई को माखन नगर के नाम से जाना जाएगा
मध्य प्रदेश के तीन और स्थानों के नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व वाले होशंगाबाद, बाबई और शिवपुरी के नये नामों पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. मध्य प्रदेश सरकार ने यह तीनों नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था, जो लंबे समय से रुका हुआ था.