भोपाल। राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बिजली गुल होने के मामले में सिर्फ एक सब इंजीनियर को दोषी मानकर उसे निलंबित कर दिया गया. जांच में यह पाया गया कि तीनों मरीजों की मौत का बिजली जाने से कोई सम्बन्ध नहीं है. वहीं इस मामले पर कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मंत्री विश्वास सारंग का बयान कांग्रेस नेताओं ने उठाए सवाल
इस मामले में सामने आई जांच रिपोर्ट पर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने सवाल उठाए हैं. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इस पूरे मामले की जांच हाइकोर्ट से करवाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है.
कांग्रेस लाशों पर न करें राजनीति
कांग्रेस नेताओं के सवाल उठाने पर मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं की लाश पर राजनीति करने की आदत है, जबकि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मंत्री ने कहा कि यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई वर्ग हतोत्साहित ना हो. वहीं डॉक्टर्स भी हतोत्साहित नहीं होने चाहिए. किसी की भी मौत बहुत दुखद है और इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.
मंत्री ने कहा कि जो दोषी हैं उन पर हमने कार्रवाई की है, कोई और दोषी पाया जाता है तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन मैं कांग्रेस नेताओं से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि वह लाशों पर राजनीति न करें. विश्वास सारंग ने कहा कि 13 महीनों का शासन हमने देखा है. जब बद से बदतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदेश में थी. पीसी शर्मा हों या दूसरे कोई मंत्री, केवल भ्रष्टाचार के जरिए राजनीति कर रहे थे. पत्र उस समय जनता के मुद्दे पर लिखते तो ज्यादा फायदा होता.
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अब तक की कार्रवाई
हमीदिया अस्पताल में बिजली गुल होने के मामले में दो स्तर पर टीमें बनाई गई थीं. इन दोनों टीमों ने अपनी-अपनी जांच रिपोर्ट भोपाल आयुक्त कवींद्र कियावत को कल देर शाम सौंप दी थी. जिसे सीएम शिवराज के सामने पेश किया गया. इस मामले में अब तक पीडब्ल्यूडी के सब इंजीनियर को बर्खास्त किया गया है और वेंटिलेटर का ठेका लेने वाली एजेंसी पर कार्रवाई के लिए भी पीडब्ल्यूडी विभाग को पत्र लिखा गया है.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि कल देर शाम हमीदिया अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में बिजली गुल हो जाने पर वहां के जनरेटर ने काम नहीं किया. इस दौरान 3 मरीजों की मौत हो गई. पहले यह बात सामने आई थी कि वेंटिलेटर सपोर्ट नहीं मिलने से मरीजों की मौत हुई. पर अब जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मरीजों की मौत का बिजली जाने से कोई संबंध नहीं. इस मामले को तूल पकड़ते देख आज सुबह ही सीएम ने जांच के निर्देश दिए थे. वहीं मंत्री विश्वास सारंग ने भी यह भी कहा कि इस तरह की लापरवाही दोबारा ना हो इसकी हम आगे व्यवस्था करेंगे.
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बिजली गुल से नहीं हुई मरीजों की मौत
इस मामले में अस्पताल के डीन डॉ अरुणा कुमार और अधीक्षक डॉक्टर आईडी चौरसिया को क्लीन चिट दे दी गई थी. भोपाल कमिश्नर कवीन्द्र कियावत ने मामले पर जानकारी देते हुए कहा था कि दो स्तर पर मामले की जांच की गई है. पहले स्तर पर एक मेडिकल टीम बनाई गई जिसने जांच की कि आखिर मरीजों की मौत का कारण क्या रहा? मेडिकल टीम की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि तीनों ही मरीज कोविड-19 के गंभीर स्टेज पर थे. बिजली गुल होने का इन तीनों मरीजों की मौत से कोई सीधा संबंध नहीं. बिजली जाने के बावजूद वेंटिलेटर मशीन ठीक से काम कर रहा था.